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पूजा शर्मा

(अनाज/ प्रोसेसिंग)

एक दृढ़ इच्छा शक्ति वाली महिला की कहानी जिसने अपने परिवार की जरूरतों को पूरा करने के लिए खेती के माध्यम से अपने पति का साथ दिया

हमारे भारतीय समाज में एक धारणा को जड़ दिया गया है कि महिला को घर पर होना चाहिए और पुरूषों को कमाना चाहिए। लेकिन फिर भी ऐसी कई महिलाएं हैं जो रोटी अर्जित के टैग को बहुत ही आत्मविश्वास से सकारात्मक तरीके से पेश करती हैं और अपने पतियों की घर चलाने और घर की जरूरतों को पूरा करने में मदद करती हैं। ऐसी ही एक महिला हैं – पूजा शर्मा, जो अपने घर की जरूरतों को पूरा करने में अपने पति की सहायता कर रही हैं।

श्री मती पूजा शर्मा जाटों की धरती- हरियाणा की एक उभरती हुई एग्रीप्रेन्योर हैं और वर्तमान में वे क्षितिज सेल्फ हेल्प ग्रुप की अध्यक्ष भी हैं और उनके गांव (चंदू) की प्रगतिशील महिलाएं उनके अधीन काम करती हैं। अभिनव खेती की तकनीकों का प्रयोग करके वे सोयाबीन, गेहूं, मक्का, बाजरा और मक्की से 11 किस्मों का खाना तैयार करती हैं, जिन्हें आसानी से बनाया जा सकता है और सीधे तौर पर खाया जा सकता है।

खेती के क्षेत्र में जाने का निर्णय 2012 में तब लिया गया, जब श्री मती पूजा शर्मा (तीन बच्चों की मां) को एहसास हुआ कि उनके घर की जरूरतें उनके पति (सरकारी अनुबंध कर्मचारी) की कमाई से पूरी नहीं हो रही हैं और अब ये उनकी जिम्मेदारी है कि वे अपने पति को सहारा दें।

वे KVK शिकोपूर में शामिल हुई और उन्हें उन चीज़ों को सीखने के लिए कहा गया जो उनकी आजीविका कमाने में मदद करेंगे। उन्होंने वहां से ट्रेनिंग ली और खेती की नई तकनीकें सीखीं। उन्होंने वहां सोयाबीन और अन्य अनाज की प्रक्रिया को सीखा ताकि इसे सीधा खाने के लिए इस्तेमाल किया जा सके और यह ट्रेनिंग लेने के बाद उन्होंने अपने पड़ोस और गांव की अन्य महिलाओं को ट्रेनिंग लेने के लिए प्रोत्साहित किया।

2013 में उन्होंने अपने घर पर भुनी हुई सोयाबीन की अपनी एक छोटी निर्माण यूनिट स्थापित की और अपने उद्यम में अपने गांव की अन्य महिलाओं को भी शामिल किया और धीरे-धीरे अपने व्यवसाय का विस्तार किया। उन्होंने एक क्षितिज SHG के नाम से एक सेल्फ हेल्प ग्रुप भी बनाया और अपने गांव की और महिलाओं को इसमें शामिल होने के लिए प्रोत्साहित किया। ग्रुप की सभी महिलाओं की बचत को इकट्ठा करके उन्होंने और तीन भुनाई की मशीने खरीदीं और कुछ समय बाद उन्होंने और पैसा इकट्ठा किया और दो और मशीने खरीदीं। वर्तमान में उनके ग्रुप के पास निर्माण के लिए 7 मशीनें हैं। ये मशीनें उनके बजट के मुताबिक काफी महंगी हैं। लेकिन फिर भी उन्होंने सब प्रबंध किया और इन मशीनों की लागत 16000 और 20000 के लगभग प्रति मशीन है। उनके पास 1.25 एकड़ की भूमि है और वे सक्रिय रूप से खेती में भी शामिल हैं। वे ज्यादातर दालों और अनाज की उन फसलों की खेती करती हैं जिन्हें प्रोसेस किया जा सके और बाद में बेचने के लिए प्रयोग किया जा सके। वे अपने गांव की अन्य महिलाओं को भी यही सिखाती हैं कि उन्हें अपनी भूमि का प्रभावी ढंग से प्रयोग करना चाहिए क्योंकि इससे उन्हें भविष्य में फायदा हो सकता है।

11 महिलाओं की टीम के साथ आज वे प्रोसेसिंग कर रही है और 11 से ज्यादा किस्मों के उत्पादों (बाजरे की खिचड़ी, बाजरे के लड्डू, भुने हुए गेहूं के दाने, भुनी हुई ज्वार, भुनी हुई सोयाबीन, भुने हुए काले चने) जो कि खाने और बनाने के लिए तैयार हैं, को राज्यों और देश में बेच रही हैं। पूजा शर्मा की इच्छा शक्ति ने गांव की अन्य महिलाओं को आत्म निर्भरता और आत्म विश्वास हासिल करने में मदद की है।

उनके लिए यह काफी लंबी यात्रा थी जहां वे आज पहुंची हैं और उन्होंने कई चुनौतियों का सामना भी किया। अब उन्होंने अपने घर पर ही मशीनों को स्थापित किया है ताकि महिलाएं इन्हें चला सकें जब भी वे खाली हों और उनके गांव में बिजली की कटौती भी काफी होती हैं इसलिए उन्होंने उनके काम को उसी के अनुसार बांटा हुआ है। कुछ महिलायें बीन्स को सुखाती हैं, कुछ साफ करती है और बाकी की महिलायें उन्हें भूनती और पीसती हैं।

वर्तमान में कई बार पूजा शर्मा और उनका ग्रुप अंग्रेजी भाषा की समस्या का सामना करता है क्योंकि जब बड़ी कंपनियों के साथ संवाद करने की बात आती है तो उन्हें पता है कि किस कौशल में उनकी सबसे ज्यादा कमी है और वह है शिक्षा। लेकिन वे इससे निराश नहीं हैं और इस पर काम करने की कोशिश कर रही हैं। खाद्य वस्तुओं के निर्माण के अलावा वे सिलाई, खेती और अन्य गतिविधियों में ट्रेनिंग लेने में भी महिलाओं की मदद कर रही हैं, जिसमें वे रूचि रखती हैं।

उनके भविष्य की योजनाएं अपने व्यवसाय का विस्तार करना और अधिक महिलाओं को प्रेरित करना और उन्हें आत्म निर्भर बनाना ताकि उन्हें पैसों के लिए दूसरों पर निर्भर ना रहना पड़े। ज़ोन 2 के अंतर्गत राजस्थान, हरियाणा और दिल्ली राज्यों से उन्हें उनके उत्साही काम और प्रयासों के लिए और अभिनव खेती की तकनीकों के लिए पंडित दीनदयाल उपध्याय कृषि पुरस्कार के साथ 50000 रूपये की नकद राशि और प्रमाण पत्र भी मिला। वे ATMA SCHEME की मैंबर भी हैं और उन्हें गवर्नर कप्तान सिंह सोलंकी द्वारा उच्च प्रोटीन युक्त भोजन बनाने के लिए प्रशंसा पत्र भी मिला।

किसानों को संदेश
जहां भी किसान अनाज, दालों और किसी भी फसल की खेती करते हैं वहां उन्हें उन महिलाओं का एक समूह बनाना चाहिए जो सिर्फ घरेलू काम कर रही हैं और उन्हें उत्पादित फसलों से प्रोसेसिंग द्वारा अच्छी चीजें बनाने के लिए ट्रेनिंग देनी चाहिए, ताकि वे उन चीज़ों को मार्किट में बेच सकें और इसके लिए अच्छी कीमत प्राप्त कर सकें।”