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किशन सुमन

(आम की खेती)

राजस्थान के किसान ने ग्राफ्टिंग द्वारा सभी मौसमों में उपलब्ध आम की एक नई किस्म विकसित की

जब बात फलो की आती है तो कोई ही इंसान होगा जोआमों को पसंद नहीं करता होगा। तो ये कहानी है राजस्थान के 52 वर्षीय किसान- किशन सुमन की, जिन्होंने आम की एक नई किस्म— सदाबहार की खोज की जो कि हर मौसम में उपलब्ध रहता है। खैर, यह उन सभी फल प्रेमियों के लिए अच्छी खबर है जो बे मौसम में भी आम खाने की लालसा रखते हैं।

अपनी पढ़ाई पूरी करने के बाद 1995 में किशन सुमन अपने पिता के नक्शेकदम पर चले और अपनी पैतृक ज़मीन पर खेती शुरू की। शुरूआत में उन्होंने अनाज वाली फसलों के साथ अपना उद्यम शुरू किया पर उचित मौसम और व्यापारियों से उचित मूल्य ना मिलने के कारण ये फसलें उनके लिए फायदेमंद सिद्ध नहीं हुई। इसलिए किशन सुमन चमेली की खेती करने लगे। इसके अलावा,कुछ नया सीखने के उत्सुकता होने के कारण, किशन सुमन ने गुलाब के पौधे में ग्राफ्टिंग विधि सीखी। जिससे उन्होंने उसी पौधे से विभिन्न रंग बिरंगे गुलाबों की खेती की। अच्छी तरह से गुलाब के पौधे से प्रयोग करने से किशन सुमन का विश्वास बढ़ गया और अगला पौधा था आम जिस पर उन्होंने ग्राफ्टिंग की।

ग्राफ्टिंग प्रक्रिया के लिए आम का चयन करने के पीछे किशन सुमन का यह कारण था कि आमतौर पर आम फल केवल 2—3 महीनों में उपलब्ध होता है और वे चाहते थे कि यह पूरे मौसम में उपलब्ध हो ताकि आम पसंद करने वाले जब चाहें इसे खा सकें।

2000 में किशन सुमन ने अपने बगीचे में अच्छी वृद्धि और गहरे रंग की पत्तियों के साथ एक आम का वृक्ष देखा, इसलिए आम की ग्राफ्टिंग में 15 वर्षों के लगातार प्रयासों के साथ किशन सुमन ने आखिरकार छोटे आम की एक नई किस्म तैयार की और इसे सदाबहार नाम दिया। जो सिर्फ दो वर्षों में फल की उपज देना शुरू कर देता है। छोटा फल होने की विशेषताओं के कारण आम की सदाबहार किस्म उच्च घनत्व खेती और अति उच्च घनत्व खेती तकनीक के लिए उपयुक्त है।

“मैंने अपने पूरे दृढ़ संकल्प और प्रयासों से यह आम की किस्म तैयार की है। यद्यपि पौधा दूसरे वर्ष में फल देना शुरू कर देता है, लेकिन इस पौधे को अच्छी तरह से वृद्धि करने की सिफारिश की जाती है। ताकि वह उचित ताकत हासिल कर सके। इसके अलावा, सदाबहार एक रोग प्रतिरोधक किस्म है जो जलवायु परिवर्तन से भी प्रभावित नहीं होती। चार साल बाद फल की तुड़ाई की जा सकती है। लेकिन तब तक पौधे को अच्छे से बढ़ने दें ”— किशन सुमन ने कहा।

सदाबहार आम की किस्म की कुछ प्रमुख विशेषताएं हैं:
• उच्च उपज (5—6 टन प्रति हेक्टेयर)
• पूरे वर्ष फल लगता है
• मीठा गुद्दा होने के साथ साथ आम का छिल्का गहरे संतरे रंग का होता है
• गुद्दे में बहुत कम फाइबर होता है।

वर्तमान में, किशन सुमन के पास उनके बाग में आम के 22 मुख्य पौधे हैं और 300 कलमी पौधे हैं। नेशनल इनोवेशन फाउंडेशन की सहायता से, श्री किशन सदाबार किस्म की कलमों और पौधों को बेच रहे हैं। छत्तीसगढ़, दिल्ली और हरियाणा क्षेत्रों के कई किसान उनके द्वारा विकसित किस्म खरीदने के लिए उनके फार्म पर आते हैं और परिणामों को देखने के बाद उनकी सराहना भी करते हैं। यहां तक कि राष्ट्रपति भवन के मुगल गार्डल में भी सदाबहार के पौधे लगाए गए हैं।

आम की एक किस्म जो पूरे वर्ष फल दे सकती हैं, में लगे उनके प्रयासों और मेहनत के लिए उन्हें 9वें राष्ट्रीय ग्रासरूद इनोवेशन और उत्कृष्ट पारंपरिक ज्ञान पुरस्कार समारोह में सम्मानित किया गया है।

यद्यपि सदाबहार सभी प्रमुख बीमारियों के प्रतिरोधक है। फिर भी किशन सुमन का मानना है कि रोकथाम इलाज से बेहतर है और इसलिए वे नीम की निंबोली, और गाय के मूत्र से कुदरती कीटनाशक तैयार करते हैं यह किसी भी तरह के कीट और बीमारियों से पौधे को सुरक्षा प्रदान करता है।

भविष्य में किशन सुमन कटहल पर प्रयोग करने की योजना बना रहे हैं। क्योंकि इसका फल लगने में अधिक समय लगता है इसलिए किशन सुमन उस समय को कम करने की योजना बना रहे हैं।

संदेश
“बागबानी एक बहुत ही रोचक क्षेत्र है और किसानों के पास विभिन्न पौधों पर उनकी रचनात्मकता के साथ प्रयोग करने और अच्छे लाभ अर्जित करने के विभिन्न अवसर हैं।”