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भगत सिंह

(मुर्गी पालन)

दो भाइयों की मिलकर की गई कोशिश ने उनके पिता के छोटे से पोल्टरी फार्म को लाखों के कारोबार में बदल दिय: जगजीत पोल्टरी ब्रीडिंग फार्म

एक व्यक्ति द्वारा 15000 रूपये से एक कारोबार शुरू हुआ उन्होंने कभी नहीं सोचा था कि भविष्य में उनके बेटे इस कारोबार को लाखों का बना देंगे। ऐसा कहा जाता है कि हर बड़ी चीज़ की छोटे से ही शुरूआत होती है। ये दो बेटों की कहानी है जो शिक्षा के बाद अपने पिता के नक्शे कदम पर चले और कारोबार को अधिक मात्रा में विस्तारित किया।

सरदार भगत सिंह पंजाब के तरनतारन शहर के पट्टी शहर के एक छोटे से किसान थे, उन्होंने 1962 में केवल 400 मुर्गियों के साथ एक पोल्टरी फार्म का कारोबार शुरू किया। उन्होंने यह कारोबार उस समय शुरू किया जब इस कारोबार के बारे में कोई कुछ नहीं जानता था। उन्होंने अपने पोल्टरी फार्म को जगजीत पोल्टरी फार्म का नाम दिया, ‘जग’ उनकी पत्नी का नाम (जगदीश) से लिया गया और ‘जीत’ उनका अपना उपनाम था। भगत सिंह ने पोल्टरी व्यवसाय शुरू किया क्योंकि यह उनका सपना भी था और उनकी ऐसा करने में रूचि भी थी, लेकिन उन्होंने अपने शब्दों और व्यवसायों को कभी अपने बच्चों पर थोपा नहीं। उनके दो बेटे हैं- मनदीप सिंह और रमनदीप सिंह । दोनों को अपनी प्राथमिक और उच्च शिक्षा के लिए स्कूल और कॉलेज भेज दिया गया ताकि वे अपने करयिर में जो करना चाहें, करें। लेकिन दोनों बेटों ने अपने पिता के व्यवसाय में शामिल होने और इसे ओर बढ़ाने का फैसला किया।

दोनों भाइयों, मनदीप सिंह और रमनदीप सिंह ने 2012 में अपने पिता की मौत के तुरंत बाद कारोबार को संभाल लिया और धीरे धीरे समय पर अपने फार्म को 3.5 एकड़ क्षेत्र में बढ़ा दिया। पहले सिर्फ पोल्टरी फार्म था, लेकिन कुछ समय बाद उन्होंने प्रजनन (ब्रीडिंग) का काम भी शुरू किया और उन्होने अपने फार्म को जगजीत पोल्ट्री प्रजनन फार्म का नाम दिया, लेकिन गांव के सभी लोग उस समय से अब तक भगत सिंह के नाम पर ही पोल्टरी फार्म को जानते थे। फार्म के नाम में ज्यादा अंतर नहीं है यह दोनों भाइयों का प्रयास है जिन्होंने पूरे पोल्टरी व्यवसाय का नक्शा ही बदल दिया।

उनके पास प्रजनन के लिए 1.5 एकड़ ज़मीन और व्यापारिक उद्देश्य के लिए 2 एकड़ ज़मीन है। आज उनके प्रजनन फार्म में 12000 मुर्गे और व्यापारिक फार्म में 18-20,000 मुर्गियां हैं।

अपने फार्म के कामकाज को आसान और स्वचालित बनाने के लिए धीरे-धीरे उन्होंने 8 मशीनों को स्थापित किया और प्रत्येक मशीन की लागत लगभग 3 लाख थी। उन्होंने लगभग 25 मज़दूरों को अपने फार्म और मशीनों का प्रबंधन करने के लिए काम पर लगाया। मनदीप सिंह और रमनदीप, विशेष रूप से पोल्टरी फार्म की सफाई का ध्यान रखते हैं। यहां तक कि मनदीप सिंह के बेटे डॉ. जसदीप सिंह भी पोल्टरी फार्म कारोबार से जुड़े हैं। पशु चिकित्सक के रूप में, जसदीप सिंह चिकन के स्वास्थ्य की व्यक्तिगत देखभाल करते हैं, वे ये सुनिश्चित करते हैं कि मुर्गी उत्पादों की अच्छी गुणवत्ता बनाए रखने के लिए हर चिकन स्वस्थ और बीमारी रहित हो। वे आवश्यकतानुसार टीकाकरण देते हैं और बीमार या बीमारी के लक्षण वाले चिकन को अलग करते हैं।

7 साल पहले दो भाइयों द्वारा किए गए संयुक्त प्रयास ने छोटे पोल्टरी खेत के व्यवसाय मुल्य को लाखों में बदल दिया। आज वे अपने पोल्टरी उत्पादों को पंजाब और उत्तर प्रदेश के आस पास सप्लाई करते हैं। जो लोग अपना स्वंय का पोल्टरी फार्म खोलना चाहते हैं वे उन लोगों को ट्रेनिंग और निर्देशित भी करते हैं और डॉ. जसदीप सिंह मुर्गियों के खाद्य और टीकाकरण के बारे में बताकर लोगों की मदद भी करते हैं ताकि वे मुर्गी उत्पादों की गुणवत्ता को बनाए रख सकें। भविष्य में दोनों भाई पुत्र अपने कारोबार में वृद्धि करने और अपने पोल्टरी फार्म उत्पादों को आगे के क्षेत्रों में उपलब्ध करवाने की योजना बना रहे हैं।

भगत सिंह व् उनके पुत्रों द्वारा दिया गया संदेश
आजकल किसान आत्महत्या कर रहे हैं, उन्हें ऐसा नहीं करना चाहिए। उन्हें यह सोचना चाहिए कि उनके बाद उनके परिवार का क्या होगा, उनका परिवार उन पर निर्भर है और यह अपनी जिम्मेदारियों से छुटकारा पाने का कोई तरीका नहीं है। किसानों को यह सोचना चाहिए कि कैसे वे अपने कौशल का उपयोग करें और अपने कामों की प्रक्रिया कैसे करें ताकि वो आने वाले समय में मुनाफा दे सकें। अब, किसानों को बुद्धिमानी से खेती शुरू करनी चाहिए और अपनी फसलों का सही मूल्य प्राप्त करने के लिए उत्पादों को स्वंय बेचना चाहिए।”