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जसकरन सिंह

(स्ट्रॉबेरी की खेती)

इस किसान ने साबित किया कि एक आम किसान भी कर सकता है कुछ विशेष, कुछ नया

भीड़ में चलने से कभी किसी की पहचान नहीं बनती, पहचान बनाने के लिए कुछ नया करना पड़ता है। जहां हर कोई एक दूसरे के पीछे लगकर काम कर रहा था, एक किसान ने लिया कुछ नया करने का फैसला। यह किसान स. बलदेव सिंह का पुत्र गांव कौणी तहसील गिदड़बाहा जिला मुक्तसर साहिब, पंजाब का रहने वाला है, जिसका नाम है — स. जसकरन सिंह।

स. बलदेव जी 27 एकड़ में रवायती खेती करते थे। पारिवारिक व्यवसाय, खेती होने के कारण बलदेव जी ने अपने पुत्र जसकरन को भी बहुत छोटी उम्र में ही खेतों में अपने साथ काम करवाना शुरू कर दिया था, जिसकी वजह से पढ़ाई की तरफ ध्यान नहीं दिया गया और पढ़ाई बीच में ही रह गई। 17—18 वर्ष की उम्र में जब खेतों में पैर रखा तो मिट्टी के साथ एक अलौकिक रिश्ता बन गया। शुरू से ही उनके पिता जी गेहूं—चने की रवायती खेती करते थे पर जसकरन सिंह जी के मन में कुछ और ही चल रहा था।

जब मैं बाहर देखता था कि रवायती खेती के अलावा खेती की जाती है, तो मेरा मन भी चाहता था कि कुछ अलग किया जाए कुछ नया किया जाए।— स. जसकरन सिंह

यही सोच मन में रखकर जसकरन जी ने स्ट्रॉबेरी की खेती करने का फैसला किया। जसकरन जी के इस फैसले ने उनके पिता जी को बहुत निराश कर दिया। यह स्वाभाविक भी था क्योंकि एक ऐसी फसल लगानी जिसकी जानकारी ना हो एक बहुत बड़ा कदम था। पर उन्होंने अपने पिता जी को समझाकर अपने 2 दोस्तों के साथ मिलकर 8 एकड़ में स्ट्रॉबेरी का फार्म लगा लिया। मन में एक डर भी बना हुआ था कि जानकारी ना होने के कारण कहीं नुकसान ना हो जाए, पर एक विश्वास भी था कि मेहनत की हुई कभी व्यर्थ नहीं जाती। इसलिए खेती शुरू करने से पहले उन्होंने बागबानी से संबंधित ट्रेनिंग भी ली।

स्ट्रॉबेरी की खेती शुरू करने में उन्हें ज्यादा कोई रूकावट नहीं आई। अपने दोस्तों से सलाह करके, उन्होंने पहले वर्ष दिल्ली से स्ट्रॉबेरी का बीज लिया। मजदूर ज्यादा लगने और मेहनत ज्यादा होने के कारण किसान यह खेती करना पसंद नहीं करते। पर थोड़े समय के बाद ही उनके दोस्तों को यह महसूस हुआ कि स्ट्रॉबेरी की खेती के बारे में कोई जानकारी ना होने के कारण उनके एक दोस्त ने इसके साथ ही अपने भविष्य को सुरक्षित करने के लिए साथ ही और व्यापार करना शुरू कर दिया और दूसरा दोस्त जाने के प्रयास करने लग गया। पर जसकरन जी ने अपने मन में पक्का इरादा किया हुआ था कि कुछ भी हो जाए पर वे स्ट्रॉबेरी की खेती ज़रूर करेंगे।

बाहर की रंग—बिरंगी दुनिया नौजवानों को बहुत आकर्षित करती है, और नौजवान भी अपना भविष्य सुरक्षित करने के लिए बाहर को भाग रहे हैं। मैं चाहता था कि विदेश जाने की बजाए, यहां अपने देश में रहकर ही कुछ ऐसा किया जाए जिससे पंजाब और नई पीढ़ी की सोच में भी बदलाव आए और वे अपना भविष्य यहीं सुरक्षित कर सकें। — स. जसकरन सिंह

पहले वर्ष जसकरन जी को उम्मीद से ज्यादा फायदा हुआ। जिस कारण उन्होंने इस खेती की तरफ अपना पूरा ध्यान केंद्रित कर दिया। उसके बाद उन्होंने हिमाचल की एक किस्म भी लगायी और अब वे पूणे जिसे स्ट्रॉबेरी का हाथ कहा जाता है, वहां से बीज लाकर स्ट्रॉबेरी लगाते हैं। जसकरन जी बठिंडा,  मुक्तसर साहिब और मलोट की मंडी में स्ट्रॉबेरी बेचते हैं।

स्ट्रॉबेरी के साथ साथ जसकरन जी खरबूजा और खीरा भी उगाते हैं। अब उन्होंने स्ट्रॉबेरी की खेती करते हुए 4—5 वर्ष हो गए हैं और वे इससे अच्छा मुनाफा कमा रहे हैं। अपनी मेहनत से जसकरन जी स्ट्रॉबेरी की नर्सरी लगा चुके हैं और इस नर्सरी में वे सब्जियां उगाते हैं।

हर वर्ष पानी का स्तर नीचे जा रहा है। इसलिए हमें तुपका सिंचाई का इस्तेमाल करना चाहिए। — जसकरन सिंह

भविष्य की योजना

भविष्य में जसकरन जी स्ट्रॉबेरी की प्रोसेसिंग करके उससे उत्पाद तैयार करके मार्केटिंग करना चाहते हैं और अन्य किसानों को भी इसके बारे में प्रेरित करना चाहते हैं।

संदेश
“मैं यही कहना चाहता हूं कि किसानों के खर्चे बढ़ रहे हैं पर गेहूं धान के मूल्य में कुछ ज्यादा फर्क नहीं आ रहा, इसलिए किसान भाइयों को रवायती खेती के साथ साथ कुछ अलग करना पड़ेगा। आज के समय में हमें पंजाब में फसली—विभिन्नता लाने की जरूरत है।”