
धान की नर्सरी की देखभाल तथा लौह एंव जिंक पोषक तत्वों का प्रबंधन

नर्सरी में सिंचाई प्रबंधन
धान की फसल के उत्पादन के लिए बुवाई से लेकर पकने तक सिंचाई जल की अधिक मात्रा में अवश्यकता होती है। इसलिए नर्सरी उगाने के लिए सिंचाई जल का उचित प्रबंधन अत्यन्त अवश्यक होता है। धान की बुवाई के बाद नर्सरी की मिट्टी को हमेशा नम रखना चाहिए इसके लिए मृदा के प्रकार एंव मौसम के आधार पर समय समय पर हल्की सिंचाई करते रहना चाहिए ध्यान रहे की सिंचाई हमेशा ठंडे मौसम (सुबह या शाम) में ही करें। दिन में गर्म तापमान के समय नर्सरी में पानी खड़ा नहीँ रहना चाहिये नहीँ तो पानी गर्म होने से नर्सरी के जलने की सम्भावना रहती है। जहां तक संभव हो नर्सरी में सिंचाई शाम के समय ही करें।
नर्सरी में खरपतवार नियंत्रण
धान की पौध की बुआई के 2 से 3 दिन बाद 1 लीटर प्रति एकड़ या 50 मिलीलीटर प्रति 8 मरला की दर से खरपतवारनाशी (प्रेटीलाक्लोर 30.7 प्रतिशत) की दर से सोफिट या इरेज इन डालें या 16 -18 दिन की नर्सरी होने पर 800 मिलीलीटर प्रति एकड़ की दर से कलिंचर (साइकिलोफोप ब्यूटाइल 10 प्रतिशत) दवाई का (6 मिलीलीटर/लीटर पानी) छिड़काव करें अथवा हाथ से निराई करें।
नर्सरी में पोषक तत्व प्रबंधन
आधारीय अनुप्रयोग किये गये उर्वरकों के बाद में पौध बुवाई के 10-15 दिन बाद 40 किलो यूरिया प्रति एकड़ की दर से डालें। कभी कभी अधिक फोस्फोरस युक्त या अधिक पीएच मान वाली मृदा में जिंक एंव लोहे तत्व की उपलब्धता पौधों के लिए कम हो जाती है तथा पौध में इनकी कमी के लक्षण दिखाई देने लगते है। पौध में बुवाई के दुसरे सप्ताह में नर्सरी की पत्तियों में (हरिमाहीनता) पीले एंव सफेद रंग के लक्षण दिखाई देने लगते है जोकि लौह तत्व की कमी के कारण होता है अधिक कमी होने पर पौधे सुख कर मर जाते है इसके उपचार के लिए 0.1 प्रतिशत आयरन-चिलेट या फैरस सल्फेट (1% फैरस सल्फेट + 0.5% चुना) का सप्ताह में दो बार पर्णीय छिडकाव करते है। मृदा में 20 किलो प्रति एकड़ की दर से फैरस सल्फेट का भी प्रयोग कर सकते है परन्तु फैरस सल्फेट का पर्णीय छिडकाव ही अधिक कारगर होता है। कभी कभी नर्सरी की पत्तियों में लोहे की जंग के जैसे लक्षण दिखाई देने लगते है जोकि जिंक पोषक तत्व की कमी के कारण होता है इसके उपचार के लिए 100 ग्राम जिंक-चिलेट का 150-200 लीटर पानी में घोल बनाकर प्रति एकड़ की दर से छिड़काव करें अथवा जिंकसल्फेट मोनोहाईड्रेट (0.5% जिंकसल्फेट मोनोहाईड्रेट + 0.25% चुना) का सप्ताह में दो बार पर्णीय छिडकाव करते है। चुने के स्थान पर जिंक के साथ 2-2.5 किलो यूरिया का उपयोग भी कर सकते है।
आलेख: बिन्द्र सिंह
ਮਾਹਿਰ ਕਮੇਟੀ
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