सभी तरह के रस चूसने वाले कीट जैसे तेला, चेपा आदि के नियंत्रण के लिए दशपर्णी अर्क का प्रयोग किया जाता है जानिये इसे तैयार करने और प्रयोग करने की विधि
• 200 लीटर पानी
• 2 किलो करंज के पत्ते
• 2 किलो सीताफल के पत्ते
• 2 किलो धतूरे के पत्ते
• 2 किलो तुलसी के पत्ते
• 2 किलो पपीते के पत्ते
• 2 किलो गेंदे के पत्ते
• 2 किलो गाय का गोबर
• 500 ग्राम तीखी हरी मिर्च
• 200 ग्राम अदरक या सोंठ
• 5 किलो नीम की पत्तियां
• 2 किलो बेल के पत्ते
• 2 किलो कनेर के पत्ते
• 10 लीटर गोमूत्र
• 500 ग्राम तम्बाकू पीस कर
• 500 ग्राम लहसुन
• 500 ग्राम हल्दी पीसी हुई
• सबसे पहले एक प्लास्टिक के ड्रम में 200 लीटर पानी डालें।
• उसके बाद नीम, करंज, सीताफल, धतूरा, बेल, तुलसी, पपीता, करंज, गेंदे के पत्तों को कूटकर डालें और डंडे से हिलाएं।
• फिर दूसरे दिन तम्बाकू, मिर्च, लहसुन, अदरक और हल्दी डालें।
• डंडे से हिलाकर जालीदार कपड़े से बंद कर दें।
• 40 दिन छांव में रखा रहने दें, लेकिन सुबह शाम अर्क को हिलाते रहें।
अवधि प्रयोग : दशपर्णी अर्क का प्रयोग छ महीने तक कर सकते हैं।
• दशपर्णी अर्क को छांव में रखें।
• सुबह शाम अर्क को हिलाना ना भूलें।
छिड़काव : 5 से 8 लीटर दशपर्णी अर्क को 200 लीटर पानी में मिलाकर प्रति एकड़ में छिड़काव करें।
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