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हरनाम सिंह

(बागबानी, स्ट्रॉबेरी)

एक ऐसे व्यक्ति की कहानी जिसने विदेश जाने की बजाय अपने देश में मातृभूमि के लिए कुछ करने को चुना

पंजाब के नौजवान विदेशी सभ्याचार को इतना अपनाने लगे हैं कि विदेश जाना एक प्रवृत्ति बन चुकी है। अपने देश में पर्याप्त संसाधन होने के बावजूद भी युवाओं में विदेशों के प्रति आकर्षण है और वे विदेश में जाना और बसना पसंद करते हैं। पंजाब के अधिकांश लोगों के लिए, विदेशों में जाकर रहना पहचान पत्र की तरह बन गया है जब कि उन्हें पता भी नहीं होता कि वे किस मकसद से जा रहे हैं। विदेशों में जाकर पैसा कमाना आसान है पर इतना भी आसान नहीं है।

इसी सपने के साथ, लुधियाना के एक युवक हरनाम सिंह भी अपने अन्य दोस्तों की तरह ही कनाडा जाने की योजना बना रहे थे, लेकिन बीच में, उन्होंने अपना विचार छोड़ दिया। दोस्तों से बातचीत करने के बाद पता चला कि विदेश में रहना आसान नहीं है, आपको दिन-रात काम करना पड़ता है। यदि आप पैसा बनाना चाहते हैं तो आपको अपने परिवार से दूर रहना होगा। अपने दोस्तों के अनुभव को जानने के बाद उन्होंने सोचा कि विदेश जाने के बाद भी, अगर उन्हें आसान जीवन जीने में कठिनाइयों का सामना करना पड़े तो अपने देश में परिवार के साथ रहना और काम करना ज्यादा बेहतर है। उन्होंने अपनी पढ़ाई जारी रखने का निर्णय लिया और खेती में अपने पिता की मदद भी की।

उस फैसले के बाद उन्होंने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा और ना ही दूसरे किसी विचार को अपने दिमाग में आने दिया। आज हरनाम सिंह नामधारी स्ट्राबेरी फार्म के मालिक हैं जो अपने मूल स्थान पर 3.5 एकड़ ज़मीन में फैला है और लाखों में मुनाफा कमा रहे हैं यह सब 2011 में शुरू हुआ जब उनके पिता मशरूम की खेती की ट्रेनिंग के लिए पी ए यू गए और वापिस आने के बाद उन्होंने घरेलू बगीची के लिए स्ट्रॉबेरी के 6 छोटे नए पौधे लगाए और तब हरनाम सिंह के मन में स्ट्रॉबेरी की खेती करने का विचार आया। धीरे-धीरे समय के साथ पौधे 6 से 20, 20 से 50, 50 से 100, 100 से 1000 और 1000 से लाख बन गए। आज उनके खेत में 1 लाख के करीब स्ट्रॉबेरी के पौधे हैं। स्ट्रॉबेरी के पौधों की संख्या को बनाए रखने के लिए उन्होंने शिमला में 1 क्षेत्र किराये पर लेकर स्ट्रॉबेरी की खेती शुरू कर दी। ज्यादातर वे अपने खेत में रसायनों और खादों का प्रयोग नहीं करते और खेती के कुदरती तरीके को पसंद करते है और स्ट्रॉबेरी पैक करने के लिए उनके पास पैकिंग मशीन है और बाकी का काम मजदूरों (20-30) द्वारा किया जाता है, जो ज्यादातर स्ट्रॉबेरी के मौसम में काम करते हैं। उनका स्ट्रॉबेरी का वार्षिक उत्पादन बहुत अधिक है, जिस कारण हरमन को कुछ उत्पादन स्वंय बेचना पड़ता है और बाकी वह बड़े शहरों की दुकानों या सब्जी मंडी में बेचते हैं।

इसी बीच, हरनाम ने अपनी पढ़ाई को कभी नहीं रोका और आज उनकी डिग्रियों की सूचि काफी अच्छी है। उन्होंने आर्ट्स में ग्रेजुएशन, सोफ्टवेयर इंजीनियरिंग में डिप्लोमा किया और वर्तमान में बी एस सी एग्रीकल्चर में डिप्लोमा कर रहे हैं। वे किसानों से बिना कोई फीस लिए स्ट्रॉबेरी की खेती के बारे में शिक्षण और सलाह देते हैं।

वर्तमान में हरनाम सिंह अपनी छोटी और खुशहाल फैमिली (पिता, पत्नी, एक बेटी और एक बेटा) के साथ लुधियाना में रह रहे हैं।

भविष्य की योजना
वे भविष्य में स्ट्रॉबेरी की खेती को अधिक विस्तारित करने और अन्य किसानों को इसकी खेती के बारे में जागरूक करने की योजना बना रहे हैं।

 

संदेश
“हरनाम एक ही संदेश देना चाहते हैं जैसे उन्होंने खुद के जीवन में अनुभव किया है कि यदि आपके पास पर्याप्त संसाधन हैं, तो और संसाधन ढूंढने की बजाय उन्हीं संसाधनों का प्रयोग करें। पंजाब के युवाओं को विदेश जाने की बजाय अपनी मातृभूमि में योगदान देना चाहिए क्योंकि यहां रहकर भी वे अच्छा लाभ कमा सकते हैं।”