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इकबाल सिंह

(जैविक खेती)

भविष्यवादी किसान ने समाज की खाद्य प्रणाली में बदलाव करने के लिए खेती का एक अनोखा तरीका अपनाया

आमतौर पर लोग जानते हैं कि उनके काम में क्या गल्तियां हैं, लेकिन वे उसी तरह से काम करते रहते हैं क्योंकि दूसरे  भी ऐसा करते हैं और फिर भी वे समाज में बदलाव चाहते हैं लेकिन जैसे कि अल्बर्ट आइंस्टीन ने कहा है –

हम किसी भी मुश्किल को उसी सोच से ठीक नहीं कर सकते जिस सोच से वह शुरू हुई थी।

इसलिए यदि हम समाज में बदलाव लाना चाहते हैं तो हमें कुछ अलग सोचना है और कुछ अलग करना है। इकबाल सिंह बासरका गांव (जिला तरनतारन) के एक किसान हैं, जिन्होंने अपनी पढ़ाई पूरी करने के बाद खाद्य उत्पादों और इसके लोगों पर पड़ते बुरे प्रभावों में सुधार लाने के लिए जैविक खेती का चयन किया।

इकबाल सिंह के पिता शुरू से ही पारंपरिक खेती करते थे और पी यू से बी कॉम की पढ़ाई पूरी करने के बाद इकबाल ने भी अपने पिता के साथ खेतीबाड़ी शुरू करने का फैसला किया लेकिन जब उन्होंने अपने एक रिश्तेदार के बिगड़ते स्वास्थ्य पर ध्यान दिया तो उन्होंने महसूस किया कि उपयोग किए जाने वाले, रसायनों और कीटनाशकों द्वारा हमारी खाद्य प्रणाली को कितनी बुरी तरह प्रभावित किया गया है। उस समय उन्होंने समझा कि हमारे भोजन चक्र और जल चक्र को जहर दिया गया है और यदि हम अपने पर्यावरण के प्रति आवश्यक कदम नहीं उठाते, तो हमारी आने वाली नई पीढ़ी इसके द्वारा बुरी तरह प्रभावित हो जायेगी।

इकबाल ने एक अलग तरीके से खेती शुरू करने का फैसला किया। उन्होंने रसायनों और कीटनाशकों का प्रयोग बंद कर दिया और अपनी 16 एकड़ की भूमि पर धीरे-धीरे जैविक खेती कर विस्तार किया। आज वे सभी प्रकार की मौसमी सब्जियों की पूरी तरह से जैविक खेती करके अच्छा लाभ कमा रहे हैं। वे हर प्रकार के ट्रैक्टर, ट्रॉली, हल, डिस्क और रोटावेटर को लागू करते हैं। आने वाले समय में वे खाद्य प्रसंस्करण और इसकी मार्किटिंग शुरू करना चाहते हैं ताकि वे इससे बेहतर लाभ ले सकें और अधिक लाभ कमा सकें।

किसानों को संदेश
यदि हम चाहते हैं कि हमारी आने पीढ़ी त्वचा की समस्याओं और बीमारियों जैसे- कैंसर, त्वचा की एर्ल्जी  आदि का सामना ना करे, तो हमें जैविक खेती को अपनाना होगा। यह सही समय है, हम अपने पर्यावरण पर किए गए नुकसान को भर सकते हैं क्योंकि किसी भी तरह की देरी से मानव के स्वास्थ्य पर गंभीर प्रभाव पड़ता है।”