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हरबंत सिंह

(ड्रैगन फ्रूट)

पिता पुत्र की जोड़ी जिसने इंटरनेट को अपना शोध हथियार बनाकर जैविक खेती की

खेतीबाड़ी मानवी सभ्यता का एक महत्तवपूर्ण भाग है। तकनीकों और जीवन में उन्नति के साथ साथ कई वर्षों में खेती में भी बदलाव आया है। लेकिन फिर भी, भारत में कई किसान परंपरागत तरीके से ही खेती करते हैं, लेकिन ऐसे ही एक किसान हैं या हम कह सकते हैं कि एक पिता पुत्र की जोड़ी-हरबंत सिंह (पिता) और सतनाम सिंह (पुत्र), जिन्होंने खेती के क्षेत्र में उन्नति के लिए इंटरनेट को अपना अनुसंधान हथियार बनाया।

जब तक उनका बेटा जैविक तरीके से बागबानी करने के विचार से पहले अन्य किसानों की तरह, हरबंत सिंह भी पहले परंपरागत खेती करते थे। हां, ये सतनाम सिंह ही थे जिन्होंने अपने 1 वर्ष की रिसर्च के बाद, अपने पिता से ड्रैगन फल की खेती करने की सिफारिश की।

यह सब 1 वर्ष पहले शुरू हुआ जब सतनाम सिंह अपने एक दोस्त के माध्यम से गुजरात के एक व्यकित विशाल डोडा के संपर्क में आए, विशाल डोडा 15 एकड़ के क्षेत्र में ड्रैगन फल की खेती करते हैं। सतनाम सिंह ने ड्रैगल फल पौधे के बारे में सब कुछ रिसर्च किया और अपने पिता से इसके बारे में चर्चा की और जब हरबंत सिंह ने ड्रैगन फल की खेती के बारे में और इसके फायदों के बारे में जाना, तो उन्होंने बहुत प्रसन्नता से अपने पुत्र को इसे शुरू करने के लिए प्रेरित किया, फिर चाहे इसमें कितना भी निवेश करना हो। जल्द ही उन्होंने गुजरात का दौरा किया और ड्रैगन फल के पौधों को खरीदा और विशाल डोडा से इसकी खेती के बारे में कुछ दिशा निर्देश लिये।

आज इस पिता पुत्र की जोड़ी पहली है जिसने पंजाब में ड्रैगन फल की खेती शुरू कर और अब इन पौधों ने फल देना भी शुरू कर दिया है। उन्होंने डेढ़ बीघा क्षेत्र में ड्रैगन फल के 500 नए पौधे लगाए हैं। एक पौधा 4 वर्ष में 4-20 किलो फल देता है। उन्होंने सीमेंट का एक स्तम्भ बनाया है जिसके ऊपर पहिये के आकार का ढांचा है जो कि पौधे को सहारा देता है। जब भी उन्हें ड्रैगन फल की खेती से संबंधित मदद की जरूरत होती है तो वे इंटरनेट पर उसकी खोज करते हैं या विशाल डोडा से सलाह लेते हैं।

वे सिर्फ ड्रैगन फल की ही खेती नहीं करते बल्कि उन्होंने अपने खेत में चंदन के भी पौधे लगाए हुए हैं। चंदन की खेती का विचार सतनाम सिंह के मन में उस समय आया जब वे एक न्यूज चैनल देख रहे थे जहां उन्होंने जाना कि एक मंत्री ने चंदन के पौधे का एक बड़ा हिस्सा मंदिर में दान किया जिसकी कीमत लाखों में थी। उस समय उनके दिमाग में अपने भविष्य को पर्यावरण की दृष्टि और वित्तीय रूप से सुरक्षित और लाभदायक बनाने का विचार आया। इसलिए उन्होंने जुलाई 2016 में चंदन की खेती में निवेश किया और 6 कनाल क्षेत्र में 200 पौधे लगाए।

हरबंत सिंह के अनुसार, वे जिस तकनीक का प्रयोग कर रहे हैं उसे भविष्य के लिए तैयार कर रहे हैं क्योंकि ड्रैगनफल और चंदन दोनों को कम पानी की आवश्यकता होती है (इसे केवल बारिश के पानी से ही सिंचित किया जा सकता है) और किसी विशेष प्रकार की खाद की जरूरत नहीं होती। इसके अलावा वे ये भी अच्छी तरह से जानते हैं कि आने वाले समय में धान और गेहूं की खेती पंजाब से गायब हो जाएगी क्योंकि भूजल की कमी के कारण और बागबानी आने वाले समय की आवश्यकता बन जाएगी।

हरबंत सिंह ड्रैगन फल और चंदन की खेती के लिए जैविक तरीकों का पालन करते हैं और धीरे धीरे समय के साथ वे अपनी अन्य फसलों में भी रसायनों का प्रयोग कम कर देंगे। हरबंत सिंह और उनके बेटे का रूझान जैविक खेती की तरफ इसलिए है क्योंकि समाज में बीमारियां बहुत ज्यादा बढ़ रही हैं। वे भविष्य की पीढ़ियों के लिए वातावरण को सेहतमंद और रहने योग्य बनाना चाहते हैं। जैसा उनके पूर्वज उनके लिए छोड़ गए थे। एक कारण यह भी है कि सतनाम सिंह ने अपनी इंजीनियरिंग की पढ़ाई पूरी करने के बाद जैविक खेती करने लगे थे और शुरूआत से ही उनकी रूचि खेती में थी।

आज सतनाम सिंह, अपने पिता की आधुनिक तरीके से खेती करने में पूरी मदद कर रहे हैं। वे गाय के गोबर और गऊ मूत्र का प्रयोग करके घर पर ही जीव अमृत और खाद तैयार करते हैं। वे कीटनाशकों और खादों का प्रयोग नहीं करते। हरबंत सिंह अपने गांव में पानी के प्रबंधन का भी काम कर रहे हैं और अन्य गांवों को भी इसके बारे में शिक्षा दे रहे हैं ताकि वे ट्यूबवैल का कम प्रयोग कर सकें। उनके खुद के पास 12 एकड़ खेत के लिए केवल एक ही ट्यूबवैल है। सामान्य फसलों के अलावा उनके पास अमरूद, केला, आम और आड़ू के पेड़ भी हैं।

सतनाम सिंह ने चंदन और ड्रैगन फल की खेती करने से पहले रिसर्च में एक वर्ष लगाया क्योंकि वे एक ऐसी फसल में निवेश करना चाहते थे। जिसमें कम सिंचाई की जरूरत हो और उसके स्वास्थ्य और वातावरणीय लाभ भी हो। वे चाहते हैं कि अन्य किसान भी ऐसे ही करें खेतीबाड़ी की ऐसी तकनीक अपनायें जो पर्यावरण के अनुकूल हो और जिसके विभिन्न लाभ हो।

भविष्य की योजना
वे भविष्य में लहसुन और महोगनी वृक्ष उगाने चाहते हैं। वे चाहते हैं कि अन्य किसान भी इसकी संभावना को पहचाने और अपने अच्छे भविष्य के लिए इसमें निवेश करें।

किसानों को संदेश
हरबंत सिंह और उनके बेटे दोनों ही चाहते हैं कि अन्य किसान जैविक खेती शुरू करें और भविष्य की पीढ़ियों के लिए पर्यावरण को बचाएं। तभी वे जीवित रह सकते हैं और धरती को बेहतर रहने की जगह बना सकते हैं।