विशेषज्ञ सलाहकार विवरण

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द्वारा प्रकाशित किया गया था Chaudhary Charan Singh Haryana Agricultural University, Hisar
पंजाब
2021-06-17 13:13:13

कपास की खेती करने वाले किसानों के लिए परामर्श

कपास- जून माह में किसान भाई कपास की एक खोदी कसोले से या ट्रेक्टर की सहायता से अवश्य करें।

  • कपास में खुला पानी 45 से 50 दिन बाद ही लगाएं। रेतीली मिट्टी में भी फव्वारा विधि से 4 से 5 दिन में ही पानी लगाएं रोज़ फव्वारे न चलाएं। तुपका विधि के द्वारा भी पानी 3 से 4 दिन में ही लगाएं।
  • बरसात के बाद अगर खेत में जलभराव हो गया है तो खेत में जल निकासी का उचित प्रबंध करें।
  • अच्छी बरसात के बाद भी यूरिया का एक बैग प्रति एकड़ के हिसाब से उपयोग करें।

रोग प्रबंधन- बीमारी से सूखे हुए पौधों को उखाड़ दे ताकि बीमारी को आगे बढ़ने के रोका जा सके।

  • जड़ गलन रोग के प्रभावित पौधों के आसपास के स्वस्थ पौधों में carbendazim (2 ग्राम प्रति लीटर का घोल) बनाकर 400 से 500 मिलीलीटर जड़ों में डालें।
  • फसल की लगातार निगरानी रखनी चाहिए व पत्ती मरोड़ रोग से ग्रस्त पौधों को उखाड़ कर दबा देना चाहिए।

कीट प्रबंधन- कपास की फसल में चूरड़ा, सफेद मक्खी एवं हरा तेला की संख्या की साप्ताहिक अंतराल पर निगरानी रखें।

  • कपास की फसल के साथ भिंडी की खेती न करें ऐसा करने से रस चूसने वाले कीड़ों की संख्या बढ़ती है।
  • जून माह में कपास की फसल में थ्रिप्स या चूरड़ा का प्रकोप सामान्य देखा जाता है, थ्रिप्स की संख्या 10 या अधिक प्रति पत्ता पहुंचने पर ही सिफारिश किए गए कीटनाशकों का प्रयोग करें। थ्रिप्स के लिए किसी भी ज्यादा ज़हरीले कीटनाशकों के मिश्रण का प्रयोग न करें।
  • कपास की फसल में प्रयोग किए गए सभी कीटनाशकों एवं फफूंद नाशकों की सम्पूर्ण जानकारी का लेखा जोखा रखें।
  • हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय के कृषि मौसम विभाग द्वारा समय-समय पर जारी मौसम पुर्वनुमाना को ध्यान में रखकर की कीटनाशकों एवं फफूंदनाशकों का प्रयोग करें।