आलू- यह महीना आलू की अगेती किस्मों के लिए बहुत अच्छा समय है। महीने के पहले पखवाड़े स्टोर में से बीज निकाल दें और इसको हवादार कमरे में रखें जहाँ रौशनी कम हो और बारीकी से बिखेर दें। इनको दिन में एक बार हिलाएं और अंकुरण हुए हिस्से जब 0.5 से 1.0 सेंटीमीटर तक फैल जाए तब बिजाई करें। बीमारी रहित नरम बीज की बिजाई करें। आलू के खरिंड रोग की रोकथाम के लिए बिजाई से पहले बीज को Emesto Prime 83 मिलीलीटर या Monceren 250 मिलीलीटर प्रति 100 लीटर पानी के घोल में 10 मिंट के लिए भिगोकर रख लें। बिजाई के समय 80 किलो यूरिया, 155 किलो सिंगल सुपरफास्फेट और 40 किलो मयूरेट ऑफ पोटाष प्रति एकड़ के हिसाब से डालें। खेत में 20 टन रूडी या हरी खाद डालें। नदीनों की रोकथाम के लिए Gramoxone 500 मिलीलीटर प्रति एकड़ जब बहुत से नदीन दिखाई देने लगे और आलू की फसल केवल 5 या 10 प्रतिशत ही हुई हो तो छिड़काव करें। 250 से 300 लीटर पानी नैपसैक पंप के लिए और 100 लीटर पानी मोटर वाले पंप के लिए प्रति एकड़ प्रयोग करें।
मटर- यदि मटर की बिजाई खेत में पहली बार करनी है तो 45 किलो बीज जल्दी पकने वाली किस्में मटर ऐ पी- 3, अगेता- 6, अगेता- 7 या अर्कल मटर को Rhizobium के साथ उपचार करें। बिजाई के समय 45 किलो यूरिया और 155 किलो सिंगल सुपरफॉस्फेट प्रति एकड़ के हिसाब से लगाएं। बिजाई वतर ज़मीनों में करें। मटर को उखाड़ने और जड़ सड़न को रोकने के लिए अगेती बिजाई न करें। तने की मक्खी से फसल को बचाने के लिए बिजाई के समय 10 किलो Furadan 3 G प्रति एकड़ की दर से लगाएं।
जड़दार वाली सब्ज़ियां- मूली की देसी किस्मों पंजाब सफेद मूली -2, शलगम (L-1) और गाजर (पंजाब ब्लैक ब्यूटी और PC-161) की बिजाई शुरू कर दें। मूली और गाजर का 4-5 किलो और शलगम का 2-3 किलो बीज प्रति एकड़ डालें। कतारों के बीच 45 सेंटीमीटर और पौधों के बीच 7.5 सेंटीमीटर की दूरी रखें। जड़दार वाली सब्जियों की मेड़ों पर बिजाई करने से अच्छी वृद्धि, ज़्यादा उपज और आसान जोताई होती है।