द्वारा प्रकाशित किया गया था पंजाब एग्रीकल्चरल यूनिवर्सिटी, लुधियाना
पंजाब
2019-08-22 10:58:06
Experts' advice for Dairy Farmers
गाभिन पशुओं को ब्याने से 2 सप्ताह पहले अलग रखना चाहिए ताकि उनकी अच्छी तरह देखभाल की जा सके। यदि पशु ब्याने की निशानी दिखा रहा है पर ब्याने में मुश्किल आ रही है तो डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए। यदि जेर 8-12 घंटे में ना पड़े तो डॉक्टर को दिखाएं। सूतकी बुखार की रोकथाम के लिए अधिक दूध देने वाले पशुओं का पूरा दूध नहीं निकालना चाहिए और धातुओं का मिश्रण देना चाहिए। 1 किलो गेहूं का दलिया उबालकर आधा किलो गुड़ मिलाकर पशु के ब्याने के बाद सुबह शाम 3-4 दिनों के लिए देना चाहिए। जन्म के बाद जल्दी से जल्दी कटड़े को साफ़ करके सुखाना चाहिए और 2 घंटे के अंदर 3-4 किलो खीस पिला देनी चाहिए। नाडूऐ को टिंचर आयोडीन के साथ कीटाणु रहित करना चाहिए। जानवरों के जख्मों को कोई मलहम लगाकर कीटाणु और मक्खियों से बचाना चाहिए। पशुओं को वातावरण के दबाव से बचाने के लिए शेड हवादार और आरामदायक रखने चाहिए। दानों में अदला-बदली करनी चाहिए। यदि गलघोटू के टीके नहीं लगवाए तो लगवा लीजिये। चिचड़ों से बचाने के लिए शेड अंदर और पशु के ऊपर प्रतिशत 0.5 कार्बरिल, ऐसनटोल और 0.025 प्रतिशत ब्यूटॉक्स और टैकटिक की स्प्रे करें और इसे 10 दिनों के बाद दोबारा करें। इस दवाई का छिड़काव 6 महीने से कम उम्र के जानवरों के ऊपर ना करें।