अब सर्दियों की अगेती सब्जियों की बिजाई शुरू हो गई है। गर्मियों की कुछ सब्जियों की भी बिजाई की जा सकती है । गोभी की अगेती फसल लेने के लिए पनीरी की पुटाई करके खेतों में लगाने का अनुकूल समय है। मूली की पूसा चेतकी किस्म की बिजाई भी की जा सकती है। इनके अलावा भिंडी, टिंडा, पेठा, काली तोरी, करेला और घीया कद्दू की बिजाई की जा सकती है। पंजाब-8, पंजाब-7, और पंजाब पदमनी भिंडी की उन्नत किस्में हैं। टिंडा 48 और पंजाब टिंडा-1 टिंडे की उन्नत किस्में हैं। पी.ए.जी.3, पीएयू मगज़ कद्दू-1 पेठे की और पूसा चिकनी काली तोरी की पंजाब झाड़ करेला, करेले की और पंजाब बरकत, पंजाब लॉन्ग, पंजाब कोमल और पंजाब बहार घीया कद्दू की सिफारिश किस्में हैं। खेत तैयार करते समय देसी रूडी ज़रूर डाली जाये। घर के आंगन में कुछ फूलों वाले पौधे ज़रूर लगाएं। यदि जगह नहीं है तो गमलों में पौधे लगाए जा सकते हैं। अब गुलदाउदी के पौधे लगाने का अनुकूल समय है। इन फूलों में बहुत विविधता है। खरीफ की सभी फसलों की बिजाई पूरी हो गई है। अब इनके रख-रखाव का समय है । नदीनों की रोकथाम के लिए गोड़ाई करें। बरसात में कीड़े या बीमारी का हमला दिखाई दे तो तुरंत पंजाब खेतीबाड़ी यूनिवर्सिटी या खेतीबाड़ी विभाग के माहिरों से संपर्क करें। उनकी सलाह के अनुसार सही ज़हर की सही मात्रा प्रयोग करें।
पंजाब में पेड़ों के नीचे बहुत कम क्षेत्र है। बढ़ रहे प्रदूषण का भी यह ही एक कारण है। पेड़ हवा को शुद्ध करते हैं, धरती में पानी रोकने में सहायता करते हैं। इसकी लकड़ी हमारे अनेक काम आती है। पेड़ लगाने के लिए अब का समय अनुकूल है। पंजाब में सफेदा, शहतूत, कीकर, डेक, सागवान, तुण और खैर के वृक्ष लगाए जा सकते हैं। पंचायत को चाहिए कि सांझे स्थान और सड़क के किनारों पर पेड़ लगाने की कोशिश करें। इनकी देखभाल भी ज़रूरी है। कई पौधे देखभाल ना होने के कारण सूख जाते हैं।
बासमती की बिजाई पूरी कर लें। अब सी.एस.आर.30, बासमती 370, बासमती 386, या बासमती 1509 किस्में लगवाएं। एक जगह पर पेड़ लगाएं, कतार में 20 और पौधों में 15 सेंटीमीटर का फासला रखें। एक वर्ग मीटर जगह में 33 पौधे लगने चाहिए। यदि रोपण पिछेता हो जाये तो कतारों में फासला 15 सेंटीमीटर कर देना चाहिए। इससे एक वर्ग मीटर में 44 पेड़ लग जाएंगे। पनीरी में जड़ों का उपचार करें ताकि बिमारियों की रोकथाम की जा सके। जड़ों को बाविसटिन 50 डब्ल्यू पी के घोल में 6 घंटे के डुबो लें। फिर पनीरी की जड़ों को ट्राईकोडर्मा हरजीएन्म 15 ग्राम प्रति लीटर पानी में घोलकर 6 घंटे के लिए रखें। बासमती के लिए उर्वरकों का प्रयोग मिट्टी जांच की सिफारिश अनुसार करें। नाइट्रोजन वाली खाद का खड़ी फसल में प्रयोग किया जा सकता है। बासमती की फसल के ऊपर चींटी और बिमारियों का हमला होता है । खेतों में चक्क्र लगाते रहें। यदि कोई हमला आये तो माहिरों की सलाह के अनुसार ज़हरों का प्रयोग करें। बासमती के ऊपर कम से कम ज़हर का प्रयोग करना चाहिए। नदीनों की रोकथाम भी गोड़ाई के साथ ही की जाये। अपने खेतों में मोटर के पास फलों के कुछ पौधे लगाने चाहिए। अब सदाबहार फलदार पौधे लगाने का समय आ गया है। किसी सरकारी नर्सरी से पौधे बुक करवा लें।