विशेषज्ञ सलाहकार विवरण

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द्वारा प्रकाशित किया गया था GKMS,BIHAR AGRICULTURAL UNIVERSITY
पंजाब
2020-11-17 13:03:01

सब्जियों से संबंधित परामर्श-

  • आलू की रोपाई प्राथमिकता से करें।कुफरी चन्द्रमुखी, कुफरी अशोका, कुफरी बादशाह, कुफरी ज्योति, कुफरी सिंदुरी, कुफरी अरुण, राजेन्द्र आलू- 1, राजेन्द्र आलू- 2 तथा राजेन्द्र आलू-3 इस क्षेत्र के लिए अनुशंषित किस्में है।बीज दर 20-25 क्विंटल प्रति हेक्टेयर रखे।पंक्ति से पक्ति की दुरी 50-60 सेंटीमीटर, एवं बीज से बीज की दुरी 15-20 सेंटीमीटर रखें।आलू को काट कर लगाने पर 2 से 3 स्वस्थ आँख वाले टुकडे को उपचारित कर 24 घंटे के अन्दर लगाएं । बीज को एगलाँल या एमीसान के 0-5 प्रतिशत घोल या डाइथेन ,M 45 के 0.2 प्रतिशत घोल में 10 मिनट तक उपचारित कर छाया में सुखाकर रोपनी करे। समूचा आलू (20-40 ग्राम) श्रेष्ठकर है। खेत की जुताई में कम्पोस्ट 200-250 क्विटल, 75 किलोग्राम नेत्रजन, 90 किलोग्राम फास्फोरस, एवं 100 किलोग्राम पोटाष प्रति हेक्टर की दर से प्रयोग करें।
  • मसुर के मल्लिका(K-75), अरुण (PL 77-12), BR-25 KLS-218, HUL -57, PL-5 एवं WBL-77 किस्मों की बुआई करें। बुआई के समय खेत की जुताई में 20 किलोग्राम नेत्रजन, 45 किलोग्राम फाॅसफोरस, 20 किलोग्राम पोटास एवं 20 किलोग्राम सल्फर का व्यवहार करें।बुआई के 2-3 दिन पूर्व कार्बेन्डाजीम फफूंदनाषक दवा का 1.0 ग्राम प्रति किलोग्राम बीज की दर से शोधित करें।तत्पष्चात कीटनाषी दवा क्लोरपाईरीफाॅस 20 ई .सी. का 8 मिलीलीटर प्रति किलोग्राम बीज की दर से उपचारित करें।बुआई के ठीक पहलेे उपचारित बीज को उचित राईजोबियम कल्चर (5 पैकेट प्रति हेक्टेयर) से उपचारित कर बुआई करें।
  • मटर की बुआई करें।इसके लिए रचना, मालवीय मटर-15, अपर्णा, हरभजन, पूसा प्रभात एवं भी ऐल-42 किस्में अनुसंषित है। बीज दर 75-80 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर तथा लगाने की दुरी 30*10 सेंटीमीटर रखें। बीज को उचित राइजोबियम कल्चर (5 पैकेट प्रति हेक्टेयर) से उपचारित कर बुआई करे।
  • कजरा (कटुआ) पिल्लू से मक्का, मटर, मसूर एवं राजमा की फसलों की निगरानी करें।इस कीट के पिल्लू रात्री के समय निकलकर इन फसलों के छोटे-छोटे उग रहे पौधों पर चढ़कर पत्तियों तथा कोमल शाखाओं को काटकर खाती है एवं जमीन पर गिरा देती हैं जिससे पूरा पौधा ही सूख जाता है।यह पिल्लू अधिकतर दिन में भूमी के अन्दर दरारों में या ढ़ेलों के नीचे छिपी रहती है और इन कटी शाखाओं को जमीन के अन्दर ले जा कर दिन में भी खाती है। यह खाती कम नुकसान अधिक करती है।इसकी रोकथाम के लिए बुआई से पूर्व खेत की सिंचाई करने पर इसके पिल्लू दरार से बाहर निकलते हैं एवं पक्षियों द्वारा शिकार हो जातें हैं।खड़ी फसलों में बीच-बीच में घास-फूस के छोटे-छोटे ढेर शाम के समय लगा देते हैं। रात्री में यह कीट फसलों को खाकर इसी ढेर में छिप जाते है।किसान सुबह से छिपे पिल्लू को चुनकर नष्ट क्र देते है। अधिक नुकसान होने पर क्लोरोपायरीफाँस 20 ई सी दवा का 2.5 मिलीलीटर प्रति लीटर पानी की दर से छिड़काव करें।