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द्वारा प्रकाशित किया गया था Department of Vegetables and Plant Diseases,PAU, Ludhiana
पंजाब
2020-09-10 16:08:52

नेट और पॉलीनेट हाउस के अंदर सब्जियों की खेती करने से किसानों को फसल का उत्पादन और बाजार में बढ़िया रेट लगने का लाभ मिलता है। नेट पॉलीहाउस में सिफारिश की जाने वाली सब्जियां जैसे टमाटर, खीरा  और शिमला मिर्च सभी जी जड़ गाँठ रोग के लिए संवेदनशील है। यह रोग जड़ गाँठ नीमाटोड के ज़रिये फैलता है।

रोग के लक्षण- यह नीमाटोड पौधों की नर्म जड़ पर हमला करते हैं और उनमें गांठें बना देते हैं। इन गांठों के बनने से जड़ों द्वारा पानी और जरूरी तत्व को सोखने की शक्ति कम हो जाती है। नीमाटोड के ज़रिये हमले वाले पौधों के पत्ते पीले पड़ जाते हैं और पौधों का विकास रुक जाता है।

जीवन चक्र जड़ गाँठ नीमाटोड के जीवन पर चार अवस्थाएं (झ1-झ4) शामिल हैं। यह नीमाटोड अपना जीवन चक्र 3 से 4 सप्ताह में पूरा कर लेता है। नीमाटोड के विकास में तापमान मुख्य भूमिका निभाते हैं। 25 से 30 डिगरी सेंटीग्रेड तापमान इसके विकास के लिए सबसे अनुकूल है।

झड़ गाँठ रोग का मिटटी में फैलना- नीमाटोड ज़मीन में अपने आप ज्यादा दूरी तक नहीं फैलता। इसके लिए आम तौरपर नीमाटोड की संख्या सभी खेत में एकमत नहीं होती। यह किसी हिस्से में कम और किसी हिस्से में अधिक हो सकती है। नीमाटोड रोगित पनीरी का प्रयोग इस रोग के फैलने का प्रमुख कारण है।

रोग की रोकथाम 

सनई या गेंदे की हरी खाद-

  • जड़ गाँठ नीमाटोड से प्रभावित नेट/नेट पॉलीहाउस में 50 दिनों के सनई की फसल या 60 दिनों की फसल जोताई से मिटटी में नीमाटोड की संख्या कम जाती है।
  • सरसों की खल, नीम और रूडी के मिटटी का उपचार करें।

नेट या पॉलीहाउस में खीरे की फसल की बिजाई से 10 दिन पहले मिट्टी में सरसों की खल 100 ग्राम प्रति वर्ग+ नीम की खल 100 ग्राम प्रति वर्ग और रूडी 250 ग्राम प्रति वर्ग के हिसाब से अच्छी तरह से मिला लें और ज़मीन को हल्का पानी लगा दें। बाद में खीरे की बिजाई करें। इसके साथ ज़मीन में नीमाटोड की संख्या कम हो जाती है और फसल का नुक्सान कम होता है।

-सुखजीत कौर और नरपिंदरजीत कौर ढिल्लों