किसानों को फसल की बिजाई करने की सलाह है फसलों के बचे हुए अवशेषों को जलाने से फसलों में वाष्पोउतसर्जन व भोजन बनाने में कमी आती है इस कारण फसलों की उत्पादकता व गुणवत्ता प्रभावित होती है।
गेहूं- गेहूं की बुआई खत्म करें और एक हेक्टेयर के लिए 100 किलो बीज का प्रबंध करें, नेत्रजन, फास्फोरस तथा पोटाश उर्वरकों की मात्रा अनुमोदित मात्रा के हिसाब से डालें फफूंद रोग के विरुद्ध 2.5 बावस्टिन या सेविन प्रति किलोग्राम बीज का उपचारत बुवाई से पहले करना चाहिए। गेहूं में खरपतवार नियंत्रण के लिए खरपतवार के 2 से 3 पत्ती अवस्था में अनुशंसित रसायनों का छिड़काव करें।
दलहनी- निचले क्षेत्रों में किसान चने की बुवाई समाप्त करें। बुवाई से पूर्व मुद्रा में उचित नमी का ध्यान अवश्य रखें। चने में झुलसा रोग से बचाव के लिए बीज का उपचार करें।
सरसों- किसानों को सापेक्ष आद्रता को ध्यान में रखते हुए सफेद रतुआ के हमले के विरुद्ध सरसों की फसल की निगरानी के लिए सलाह दी जाती है, यदि संक्रमण अधिक है तो Dithane M-45 @ 2 ग्राम प्रति लीटर पानी के छिड़काव की सलाह दी जाती है। किसानों को चित्रित बग और एफिड हमले के खिलाफ सरसों की फसल की निगरानी के लिए सलाह दी जाती है। समय पर बोई गई सरसों की फसल में पतलेपन और निराई की सिफारिश की जाती है। तोरिया के खेतों को खरपतवार रहित रखें।
घासनियाँ- रबी मौसम के चारे बरसीम, लूसर्न और जई के लिए बुबाई पूरी करने की सलाह दी जाती है। पहली कट के दौरान चारे के पौष्टिक उत्पादन के लिए गोभी सरसों के बीज जोड़ें। बरसीम व सफलत की चाईनीज सरसों की खेती करना लाभदायक है अगर खेत में पहली बार बिजाई की जा रही है तो राइजोवियम कल्चर से टीकाकरण करें।