रोग मुक्त आलू उगाने के लिए केवल स्वस्थ बीजों का ही उपयोग करें-
आलू के अधिक घातक रोग (जैसे कि विषाणु रोग, पिछेता झुलस रोग, झुरड़ रोग ) बीज के माध्यम से ही फैलते है और बीज वाले यह बीमार आलू बीमारी की लाग लगाने का काम करते है। बीमारी वाले आलू की बिजाई न करें।
वसंत ऋतू (अक्टूबर) और पिछेती नवंबर-दिसंबर के समय में बोई जाने वाली आलू की फसल पर पिछेती झुलस रोग का हमला अधिक होता है क्योंकि इन महीनों में फसल पर बीमारी लगने के लिए मौसम बहुत अनुकूल होता है।
वसंत ऋतू (अक्टूबर) और पिछेती नवंबर-दिसंबर में बोई जाने वाली फसल के आलू ही मुख्य तौर पर बीज के लिए और हमारी रोज़ाना के प्रयोग में आने वाले राशन के लिए ठंडे गोदामों में रखक्र संभाल लिए जाते है। पिछेता झुलस रोग अगर आलू की फसल में आलू बनने से पहले ही खेत में आ जाये तो आलू के झाड़ पर बुरा असर पड़ता है।
रोगी या गले-सड़े आलू को ठंडे गोदामों में निकालकर बाहर खुले में नहीं छोड़ना चाहिए, बल्कि इनको
एक गड्डा खोदकर मिट्टी में दबा देना चाहिए।
रोग का बीज पर हमला होने से स्तर कम हो जाता है और मंडी में आलू का पूरा मूल्य नहीं मिलता।