विशेषज्ञ सलाहकार विवरण

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द्वारा प्रकाशित किया गया था GKMS, UNA
पंजाब
2020-11-20 11:25:24

पशुपालन- तापमान गिर रहा है और एक शीत लहर के क्षेत्र को जकड़ लिया है, इसलिए नवजात बछड़ों और जानवरों को ठंड से बचाएं। जानवरों पर टिक और घुन के हमले के लिए मौसम अनुकूल है। नियंत्रण स्प्रे ब्यूटॉक्स @ 2.0 मिलीलीटर प्रति लीटर पानी के लिए। गौशालाओं को साफ़ और सूखा रखें और पशुओं को पीने का साफ पानी दें। बालू वाले जानवरों में खनिज तत्वों की कमी होती है जो कि पशुओं में प्रजनन और अन्य इस्त्री- संबंधी बीमारियों का एकमात्र कारण है। इसलिए प्रतिदिन पशुओं को 50 ग्राम खनिज मिश्रण देना सुनिचित करें। गेविन गया या भैंस को संतुलित आहार व मिनरल मिश्रण 25 से 30 ग्राम प्रति दिन दें, नवजात बछाड़ों को जन्म 2 घंटे के अंदर उनके भर का 1/11 बां भाग खीस अवश्य पिलाएं। पशुओं के छोटे बच्चों को जन्म देने के बाद 8 से 10 दिन सींग रहत करवाएं व उनके पेट के कीड़े मरने की दवाई स्थानीय पशुचिकित्स्क से परामर्श करके समय समय पर पिलाते रहें। पशुओं को खांसी के लिए निरीक्शल कराएं।

मछली पालन- मछली पालन की ऋतू खत्म हो रही है, इसलिए सभी मछलियों को निकालकर व तालाबों को खाली करके इनके रखरखाव की व्यवस्था करें। आजकल मछलियों को बेच दें और तालाबों को खाली कर दें, मछलियों तालाब में है तो तालाब में पानी का स्तर पांच फ़ीट तक बनाएं रखें। अगर पानी का रंग लाल नजर आए तो उस अवस्था में पानी कि सतह को छड़ी से सुबह सूर्य निकलने से पहले व शाम को सूर्य अस्त के बाद हिलाएं।  अगर पानी लाल होने लगे तो मेनयोर व आयल केके डालना बंद कर दें।  मछलियों को तालाबों में खाद व खुराक को नियमित रूप से शारीरिक वजन के हिसाब से आहार दें।