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द्वारा प्रकाशित किया गया था पंजाब एग्रीकल्चरल यूनिवर्सिटी, लुधियाना
2020-02-01 14:07:54

पीएयू की तरफ से विकसित 1 बी टी कपास की किस्में उत्तरी क्षेत्र में खेती के लिए स्वीकार की गई है

पंजाब एग्रीकल्चरल यूनिवर्सिटी की तरफ से विकसित की गई नरमे की 2 नई किस्में पीएयू बी टी-2 और पीएयू बी टी-3 देश के उत्तरी ज़ोन जिसमें पंजाब, हरियाणा और राजस्थान शामिल है खेती के लिए स्वीकार कर ली गई हैं। इन किस्मों को दिसंबर 2019 में भारती खेती खोज केंदर परिषद में बागवानी और फसल विकास के उप-निर्देशक जनरल डॉ. ए के सिंह की प्रधानगी में हुई किस्म पहचान कमेटी की एक मीटिंग दौरान देश के उत्तरी ज़ोन में बिजाई के लिए स्वीकार किया गया है। पब्लिक क्षेत्र की किसी भी संस्था की तरफ से विकसित की और स्वीकार होने वाली यह दो ही किस्में हैं। इन किस्मों को ए आई आर सी पी नरमे-कपास के प्रोजेक्ट के अधीन उत्तरी भारत के पांच केंद्रों में परीक्षण किया गया। इन अनुभवों के आधार पर पहले से सिफारिश की गैर बी टी किस्म के 2409 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर की उपज के मुकाबले पीएयू बी टी-2 और बी टी-3 ने क्रमश 2905 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर और 2840 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर की उपज दर्ज की गई है। दोनों किस्मों में टिंडों के कीड़े और नरमे की पत्ता मरोड़ बीमारी के साथ-साथ पत्तों के धब्बों के रोग और बैक्टीरियल लीफ ब्लाइट का टाकरा करने की सहन शक्ति है। इन किस्मों के विकास से संबंधित महत्त्वपूर्ण बात यह है कि किसान इन किस्मों के बीज अगले साल की बिजाई के लिए स्वयं तैयार करके हाईब्रिड किस्मों के बीजों की हर साल मेहंगी खरीद से बचाव कर सकते हैं।