इस वर्ष सर्दी का सीजन लम्बा खिंचने के कारण गेहूं की बम्पर फसल आने की संभावना है। हालांकि कुछ क्षेत्रों में बेमौसम बरसात
के कारण खेतों में खड़ी फसलों को नुकसान होने की खबर है, परंतु वह नुकसान मामूली है इससे उत्पादन पर असर नहीं पडऩे का अनुमान है। भारत सरकार के कृषि मंत्रालय ने अपने दूसरे अग्रिम उत्पादन अनुमान में 9.91 करोड़ टन गेहूं उत्पाद का अनुमान लगाया है जबकि गत वर्ष 2017-18 द्वितीय अनुमान में 9.71 करोड़ टन उत्पादन अनुमान लगाया गया था। इस वर्ष देश में 298.47 लाख हेक्टेयर से अधिक क्षेत्र में गेहूं की बोनी की गई है तथा पूर्व में 10 करोड़ टन से अधिक गेहूं उत्पादन का अनुमान लगाया जा रहा था। परंतु द्धितीय अनुमान में 9.91 करोड़ टन पर अनुमान अटक गया।
इधर मप्र में इस वर्ष 59 लाख हे. में गेहूं बोया गया है तथा उत्पादन 207 लाख टन आंका गया है। जबकि गत वर्ष 58 लाख हेक्टेयर में बोनी हुई थी और उत्पादन अनुमान 200 लाख टन हुआ था। इस वर्ष बम्पर गेहूं उत्पादन की उम्मीद के बीच समर्थन मूल्य 1840 रूपये प्रति क्विंटल पर राज्य सरकार 160 रूपये अतिरिक्त देकर 2000 रू क्विंटल पर खरीदी की तैयारी कर रही है। राज्य में इस वर्ष कुल रबी बेानी लगभग 115 लाख हेक्टेयर में हुई है इसमें खाद्यान्न फसलें 60.25 लाख हेक्टेयर में, दलहनी फसलें 44.26 लाख हेक्टेयर में एवं तिलहनी फसलें 9.30 लाख हेक्टेयर बोई गई है तथा नगदी फसल गन्ने की बोनी 1.18 लाख हेक्टेयर में की गई है।
भारतीय कृषि अनु. परिषद के उपमहानिदेशक डॉ. ए.के. सिंह ने बताया कि गत दिनों हुई बेमौसम बरसात से राजस्थान में सरसों और कुछ सब्जी को तथा पश्चिमी उत्तर प्रदेश और म.प्र. के उत्तरी भाग में फसलों को कुछ नुकसान होने की खबर है जिसका सर्वे कराया जा रहा है। श्री सिंह ने बताया कि उत्तर भारत के गेहंू उत्पादक प्रमुख क्षेत्रों में खड़ी फसलों को बड़े नुकसान की खबर नहीं है। आलू उत्पादन में बढ़ोत्तरी की उम्मीद है जिसे बरसात का फायदा मिला है। उन्होंने कहा कि यह बारिश दक्षिण भारत में धान के लिए लाभ दायक है।