द्वारा प्रकाशित किया गया था Dr. Rajendra Prasad Central Agricultural University, Pusa, Samastipur, Bihar
पंजाब
2021-09-11 11:28:55
धान की फसल की खेती करने वाले किसानों के लिए परामर्श
धान- अगात बोई गई धान की फसल में गंधी बग कीट की निगराणी करे। इसके शिशु एवं पौढ़ दोनों शुरुआत में कोमल पत्तियों एवं तनों का रस चुसकर पौधें को कमजोर बना देती है। बालियां निकलने तथा दुध भरने की अवस्था में यह दाने को चुसकर खोखला एवं हल्की बना देती है, जिस से उपज काफी प्रभावित होती है। इस समय यह पौधे को अधिक क्षति पहुँचाती है। इसके शरीर से विशेष प्रकार की बदबु निकलती है, जिस की वजह से इसे खेतों में आसानी से पहचाना जा सकता है। इसके नियंत्रण के लिए फॉलीडाल 10 प्रतिशत धूल का प्रति हेक्टेयर 10-15 किलोग्राम की दर से भूरकाव 8 बजे सुबह से पहले अथवा 5 बजे शाम के बाद बालियों पर करें। किसान भाई खड़ी फसलों में दवा का छिड़काव आसमान साफ रहने पर करें।
पिछात बोयी गई धान की फसल जो कल्ले बनने की अवस्था में हो, में 30 किलोग्राम नत्रजन प्रति हेक्टेयर की दर से उपरिवेषन करें। कहीं-कहीं अगात बोयी गई धान की फसल जो बाली निकलने की अवस्था में आ गई हो, में 30 किलो नत्रजन प्रति हेक्टेयर की दर से व्यवहार करें।
धान की फसल में पत्ती का जीवाणु झुलसा रोग का नियंत्रण करें। इस रोग में पत्ती की चोटी की तरफ से किनारों या मध्य से होकर नीचे की तरफ धब्बा बढ़ता है। जिसका रंग पुआल जैसा हो जाता है। बाद में पुरा पौधा सुख जाता है। इस प्रकार का लक्षण दिखने पर बचाव हेतु स्टेंप्टोसाइक्लिन 50 ग्राम एवं कॉपर ऑक्सीक्लोराइड 2.5 किलोग्राम दवा को 800 लीटर पानी में मिलाकर प्रति हेक्टेयर की दर से 12 दिनों के अन्तराल में दो छिड़काव करें।