विशेषज्ञ सलाहकार विवरण

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द्वारा प्रकाशित किया गया था GKMS, New Delhi
पंजाब
2020-10-23 12:11:52

किसानों के लिए फसलों से संबंधित परामर्श

कोरोना (कोविड़-19) के गंभीर फैलाव को देखते हुए किसानों को सलाह है कि तैयार सब्जियों की तुड़ाई तथा अन्य कृषि कार्यों के दौरान भारत सरकार द्वारा दिये गये दिशा निर्देशों, व्यक्तिगत स्वच्छता, मास्क का उपयोग, साबुन से उचित अंतराल पर हाथ धोना तथा एक दूसरे से सामाजिक दूरी बनाये रखने पर विशेष ध्यान दें।

किसानों को सलाह है कि खरीफ फ़सलों (धान) के बचे हुए अवशेषों को ना जलाऐ। क्योकि इससे वातावरण में प्रदूषण ज़्यादा होता है, जिससे स्वास्थय सम्बन्धी बीमारियों की संभावना बढ जाती है। इससे उत्पन्न धुंध के कारण सूर्य की किरणे फसलों तक कम पहुचती है, जिससे फसलों में प्रकाश संश्लेषण और वाष्पोत्सर्जन की प्रकिया प्रभावित होती है जिससे भोजन बनाने में कमी आती है इस कारण फसलों की उत्पादकता व गुणवत्ता प्रभावित होती है। किसानों को सलाह है कि धान के बचे हुए अवशेषों (पराली) को जमीन में मिला दें इससे मृदा की उर्वकता बढ़ती है, साथ ही यह पलवार का भी काम करती है | जिससे मृदा से नमी का वाष्पोत्सर्जन कम होता है | नमी  मृदा में संरक्षित रहती है| धान के अवशेषों को सड़ाने के लिए पूसा डीकंपोजर कैप्सूल का उपयोग @ 4 कैप्सूल / हेक्टेयर किया जा सकता है।

धान- मौसम को ध्यान में रखते हुए धान की फसल यदि कटाई योग्य हो गयी तो कटाई शुरू करें। फसल कटाई के बाद फसल को 2-3 दिन खेत में सुखाकर गहाई कर लें। उसके बाद दानों को अच्छी प्रकार से धूप में सूखा लें। भण्डारण के पूर्व दानों में नमी 12 प्रतिशत से कम होनी चाहिए।

  • मौसम को ध्यान में रखते हुए किसानों को सलाह है कि धान की पकने वाली फसल की कटाई से दो सप्ताह पूर्व सिचाई बंद कर दें। फसल कटाई के बाद फसल को 2-3 दिन खेत में सूखाकर गहाई कर लें। उसके बाद दानों को अच्छी प्रकार से धूप में सूखा लें।

गेंहू- मौसम को ध्यान में रखते हुए गेंहू की बुवाई हेतू खाली खेतों को तैयार करें तथा उन्नत बीज व खाद की व्यवस्था करें। उन्नत प्रजातियाँ- सिंचित परिस्थिति- (एच. डी. 3226), (एच. डी. 2967), (एच. डी. 3086), (एच. डी. 2733), (एच. डी. 2851)। बीज की मात्रा 100 कि.ग्रा. प्रति हैक्टर। जिन खेतों में दीमक का प्रकोप हो तो क्लोरपाईरिफाँस 20 ईसी @ 5 लीटर प्रति हैक्टर की दर से पलेवा के साथ दें। नत्रजन, फास्फोरस तथा पोटाश उर्वरकों की मात्रा 120, 50 व 40 कि.ग्रा. प्रति हैक्टर होनी चाहिये।