विशेषज्ञ सलाहकार विवरण

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द्वारा प्रकाशित किया गया था Dr. Rajendra Prasad Central Agricultural University Pusa, Samastipur, Bihar
पंजाब
2021-02-10 12:24:30

आने वाले दिनों के लिए सरसों, पपीता और गेहूं से संबंधित परामर्श

सरसों- सरसों की फसल को नुकसान पहुंचाने वाला मुख्य कीट लाही की निगरानी करे। ये सुक्ष्म आकार का कीट है, जो पौधो पर स्थायी रुप से चिपके रहते है एवं पौधो की जड़ो को छोड़कर शेष सभी मुलायम भागों, तने व फलीयों का रस चूसते है। ये कीट मधु-स्त्राव निकालते है, जिससे पौधे पर फंगस का आक्रमण हो जाता है तथा जगह-जगह काले धब्बे दिखाई देते है। ग्रसित पौधों में शाखाएं कम लगती हैं। पौधे की बढ़वार रुक जाती है। पौधे पीले पड़कर सूखने लगते है। फलियां कम लगती है तथा तेल की मात्रा में भी कमी आती है। इस कीट से बचाव के लिए डायमेथोएट 30 ई सी दवा का 1.0 मिलीलीटर प्रति लीटर पानी की दर से घोल कर मौसम साफ रहने पर छिड़काव करें।

पपीता- पपीता की खेती करने वाले किसान भाईयों को सलाह दी जाती है कि 10 से 15 फरवरी तक नर्सरी की तैयारी कर बीज की बुआई कर दे।अन्यथा देरी होने की स्थिति में बढ़ते तापमान के कारण रोपनी के समय पौधे पर विपरीत प्रभाव पड़ सकता है।

गेहूं- पिछात बोयी गई गेहूँ की फसल में जिंक की कमी के लक्षण (गेहूं के पौधों का रंग हल्का पीला हो जाना) दिखाई दें रहें हो तो 2.5 किलोग्राम जिंक सल्फेट, 1.25 किलोग्राम बुझा हुआ चुना एवं 12.5 किलोग्राम युरिया को 500 लीटर पानी में घोलकर प्रति हेक्टेयर की दर से 15 दिन के अन्तराल पर दो बार छिड़काव आसमान साफ रहने पर करे। दीमक कीट का प्रकोप फसल में दिखाई देने पर बचाव हेतु क्लोरपायरीफॉस 20 ई सी दवा का 2 लीटर प्रति एकड़ की दर से 20-30 किलो बालू में मिलाकर खड़ी फसलों में समान रूप से मौसम साफ रहने पर व्यवहार करें।