विशेषज्ञ सलाहकार विवरण

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द्वारा प्रकाशित किया गया था Dr. Rajendra Prasad Central Agricultural University Pusa, Samastipur, Bihar
पंजाब
2021-01-22 11:38:22

आने वाले दिनों के लिए सरसों, गेहूं और मक्का से संबंधित परामर्श

सरसों- सरसों की फसल में लाही कीट की नियमित रुप से निगरानी करे। यह सूक्ष्म आकार का कीट पौधो के सभी मुलायम भागों-तने व फलीयों का रस चुसते है। ये कीट मधु-स्त्राव निकालते है, जिससे पौधे पर फंगस का आक्रमण हो जाता है तथा जगह-जगह काले धब्बे दिखाई देते हैं । ग्रसित पौधों में शाखाएं कम लगती हैं। पौधे की बढ़वार रुक जाती है। पौधे पीले पड़कर सुखने लगते है। फलियां कम लगती है तथा तेल की मात्रा में भी कमी आती है। इस कीट से बचाव के लिए डायमेथोएट 30 ईसी दवा का 1.0 मिलीलीटर प्रति लीटर पानी की दर से घोल कर छिड़काव मौसम साफ रहने पर करें।

गेहूं- देर से बोई गई गेहूं में दीमक कीट का प्रकोप दिखाई देने पर बचाव हेतु क्लोरपायरीफॉस 20 ई सी दवा का 2 लीटर प्रति एकड़ की दर से 20-30 किलो बालू में मिलाकर शाम के समय खेत में छिड़काव कर सिंचाई करें। बिलम्ब से बोई गई गेहूं की 21 से 25 दिनों की फसल में सिंचाई कर 30 किलो नेत्रजन प्रति हेक्टेयर की दर से उपरिवेषन करें।

मक्का- मक्का की फसल में आवश्यकतानुसार सिंचाई करें। सिंचाई के बाद 25-30 किलोग्राम नेत्रजन प्रति हेक्टेयर की दर से उपरिवेषन करें, जिससे कम तापमान तथा शीतलहर के प्रभाव से फसल पर हुए नुकसान को कम किया जा सके।