विशेषज्ञ सलाहकार विवरण

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द्वारा प्रकाशित किया गया था भारतीय कृषि अनुसंधान संसथान क्षेत्रीय केंद्र, इंदौर
पंजाब
2021-02-03 12:01:38

आने वाले दिनों के लिए गेहूं से संबंधित परामर्श

गेहूं- अगेती बुवाई वाली किस्मों में और सिंचाई न करें, पूर्ण सिंचित समय से बुवाई तथा देर से बुवाई वाली किस्मों में अवस्था अनुसार अंतिम सिंचाई करें।

  • आवश्यकता से अधिक सिंचाई करने पर फसल गिर सकती है, दानों में दूधिया धब्बे आ जाते हैं तथा उपज कम हो जाती है।
  • आत्याधिक देर से बोई गई फसल में खरपतवार नियंत्रण के लिए खुरपी या हैण्ड-हो से फसल में निराई-गुड़ाई करें।
  • बालियाँ निकलते समय फव्वारा विधि से सिंचाई न करें अन्यथा फूल खिर जाते हैं, दानों का मुँह काला पड़ जाता है व करनाल बंट के प्रकोप का डर रहता है।
  • उपरोक्त कार्य हेतु श्रमिक उपलब्ध न होने पर, जब खरपतवार 2 से 4 पत्ती के हों तो चैड़ी पत्ती वालें के लिए 4 ग्राम Metsuslforun Methyl या 650 मिलीमीटर 2,4-D प्रति हेक्टेयर का छिड़काव करें। संकरी पत्ती वालों के लिए 60 ग्राम  Clodinafop-propargyl प्रति हेक्टेयर की दर से छिड़कें। दोंनो तरह से खरपतवारों के लिए उपरोक्त को मिलाकर या बाजार में उपलब्ध इनके रेडी-मिक्स उत्पादों को छिड़कें।छिड़काव के लिए स्प्रेयर में फ्लैट-फैन नोजल का इस्तेमाल करें।
  • गेहूं फसल के उपरी भाग (तना व पत्तों) पर गेहूँ की इल्ली तथा माहु का प्रकोप होने की दशा में Imidacloprid 250 मिलीलीटर ग्राम प्रति हेक्टेयर की दर से पानी में घोल बनाकर छिड़काव करें।
  • गेहूं में हेड ब्लाइट या लीफ ब्लाइट रोग आने पर प्रोपिकोनाजोल 1 मिलीलीटर दवा प्रति लीटर पानी में घोल बनाकर फसल पर छिड़काव करें। एक हेक्टेयर हेतु 250 मिलीलीटर दवा तथा 250 लीटर पानी का उपयोग करें।
  • गेहूं में आरमी वर्म के नियंत्रण हेतु टंईक्लोरोफाॅन 55 प्रतिशत का 300 मिलीलीटर या डाईक्लोरोवास 76 प्रतिशत ई .सी. का 150 मिलीलीटर दवा का 300 लीटर पानी में घोल बनाकर प्रति एकड़ की दर से छिड़काव करें।
  • उच्च गुणवत्ता युक्त बीज जैसे कि आधार बीज की फसल में अंतिम बार रोगिंग करें।