
Tip from Horticulture experts regarding horticulture operations

पतझड़ वाले पौधे जैसे कि नाशपाती और अंगूर आदि को फरवरी के पहले सप्ताह तक नया फुटारा आने से पहले लगा दें। सदाबहार पौधे जैसे नींबू जाति के पौधे, आम, अमरुद, लोकाट और बेर आदि को फरवरी के दूसरे पखवाड़े में लगाया जा सकता है। फरवरी के मध्य तक अंगूरों को कांट-छांट कर लें। नींबू जाति के फलों की तुड़ाई करने के बाद अच्छे तरीके के साथ सूखी टहनी निकालकर बोर्डो मिश्रण (2:2:250) या बलाइटोक्स 3 ग्राम प्रति लीटर पानी के हिसाब से छिड़काव कर दें। कटे हुए भागों पर बोर्डो पेस्ट लगा दें और सप्ताह के बाद तने के ऊपर बोर्डो पेस्ट के लेप लगाएं। किन्नू के पूरे बड़े पौधों को फरवरी महीने 960 ग्राम यूरिया और 2750 ग्राम सिंगल सुपर फास्फेट खाद डाल दें। किन्नू के बिना अन्य नींबू जाति के फलों को पौधों के आकार के अनुसार 880-1760 ग्राम यूरिया खाद डालें। संतरे, माल्टा के बड़े पौधों को इस महीने पौधों के आकार अनुसार 400-800 ग्राम यूरिया खाद पहली किश्त के रूप में डालें। लोकाट के पौधों को 500 ग्राम यूरिया प्रति पौधे के हिसाब से नाइट्रोजन खाद की दूसरी किश्त के रूप में डालें। आम के पौधों को 500 ग्राम यूरिया और एक गोली म्यूरेट ऑफ़ पोटाश और लीची के पौधे को 800 यूरिया ग्राम प्रति पौधा इस महीने के मध्य तक डालें। पपीते के पौधों को 1:2:0.33 के अनुपात के साथ (यूरिया, सिंगल सुपरफास्फेट और म्यूरेट ऑफ़ पोटाश) का मिश्रण 625 ग्राम और साथ ही 20 किलो रूडी की खाद प्रति पौधा डालें। नाशपाती को 500 ग्राम यूरिया, आडुओं को 500 ग्राम यूरिया फूल आने के बाद, अलूचा को 180 ग्राम युरिया फूल आने के बाद इस महीने प्रति पौधे के हिसाब से डालें। अंगूरों के फल देते पौधे को कांट-छांट के बाद 500 ग्राम यूरिया और 400 ग्राम म्यूरेट ऑफ़ पोटाश प्रति पौधे का प्रयोग करें। खाद डालते समय ध्यान रखें कि पौधों के नीचे खाद बराबर मात्रा में डाली जाए और फिर खादों को हल्की गोड़ाई करके मिट्टी में मिला दें। नींबू जाति के पौधे की सिंचाई की तरफ ध्यान दें, क्योंकि फरवरी महीने ही फुटाव होगा। लोकाट के पौधों को एक-दो पानी दें क्योंकि फल लग चुके हैं। बेर के पौधों को भी पानी दें, ताकि फल का आकार बढ़े। फरवरी के पहले पखवाड़े में अंगूरों की कांट-छांट के बाद एक पानी लगाएं। नींबू जाति के पौधों का सिट्रस सिला और सुरंगी कीड़ा मारने के लिए 200 मिलीलीटर क्रोकोडाइल/कन्फीडोर या 160 ग्राम एकटारा(इमिडाक्लोप्रिड) को 500 लीटर पानी में घोलकर फूल आने से पहले छिड़काव करें। सिट्रस केंकर की रोकथाम के लिए स्ट्रेप्टोसाइक्लीन 50 ग्राम +25 ग्राम नीला थोथा 500 लीटर पानी में घोलकर छिड़काव करें। बोर्डो मिश्रण 2:2:250 या 0.3% कॉपर ऑक्सीक्लोराइड का भी छिड़काव किया जा सकता है। नींबू जाति में गुंदिया (पैर गलना/नीचे से तने का गलना) रोग की रोकथाम के लिए 25 ग्राम करजेट एम -8 को 10 लीटर पानी प्रति पौधे के हिसाब से पौधों के आस-पास डालें। इसके अलावा इसकी रोकथाम के लिए सोडियम हाइपोक्लोराइट (5%) 50 मिलीलीटर को 10 लीटर पानी में घोलकर प्रति पौधे के हिसाब से जड़ों और छतरी के नीचे छिड़काव किया जा सकता है। आम के छड़पामार तेला इस महीने में फूल आने के समय जोरदार हमला करता है। आम में सफेद रोग की रोकथाम के लिए इस महीने कैराथेन 0.1% घुलनशील या गंधक 0.25% का फूल निकलने से पहले और बाद में फूल पत्तियां झड़ने तक 10 दिनों के अंतराल पर छिड़काव करें।
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