मौसम की भविष्यवाणी — 22—23 जुलाई को कहीं कहीं हल्की बारिश की भी संभावना है।
चेतावनी — पंजाब में 21 जुलाई को कहीं कहीं पर बहुत भारी बारिश होने की संभावना है। उसके बाद 24 जुलाई तक कहीं कहीं पर गर्ज— चमक से छींटे पड़ने के साथ साथ बिजली भी चमक सकती है।
अगले दो दिनों का मौसम — कुछ जगहों पर बारिश/छींटे पड़ने का अनुमान है।
किसानों के लिए मौसम और फसलों का हाल — किसानों भाइयों को सलाह दी जाती है कि बारिश का पानी खेतों में खड़ा ना होने दें और निकास का प्रबंध ज़रूर कर लें। इन दिनों के दौरान खेत में मेंड़ बनाकर रखें।
खेती फसलें
नरमा — नरमे के अलावा मक्खी का हमला अन्य फसलों जैसे कि बैंगन, आलू, टमाटर, मिर्च, मूंग आदि पर भी पाया जाता है इसलिए इन फसलों का लगातार सर्वेक्षण करें।
नरमे के खेतों के आस पास खरपतवारों की रोकथाम करें ताकि मिलिबग इन खरपतवारों पर अपनी वृद्धि ना कर सके।
अपनी फसल का लगातार सर्वेक्षण करें। यदि फसल पर फंगस के धब्बों का हमला नज़र आए तो फसल पर 200 मि.ली. एमीस्टार टॉप 200 लीटर पानी में घोलकर प्रति एकड़ पर छिड़काव करें।
धान — धान में नाइट्रोजन का दूसरा एक तिहाई हिस्सा रोपाई के 21 दिनों के बाद डाल दें।
धान की फसल के तने के आस पास पत्ते के झुलस रोग के हमले से बचाने के लिए मेंड़ों को साफ रखें।
इन दिनों में बासमती की किस्में एस आर 30, बासमती 370, बासमती 386 और पूसा बासमती 1509 की रोपाई पूरी कर लें।
आवश्यकतानुसार यूरिया के प्रयोग के लिए पी ए यू — पत्ता रंग चार्ट विधि प्रयोग करें।
बासमती को झंडा रोग से बचाने के लिए बीज को पहले ट्राइकोडर्मा हार्जीएनमफॉर्मूलेशन से 15 ग्राम प्रति किलो के हिसाब से उपचारित कर लें। पनीरी की पुटाई कर खेत में लगाने से पहले जड़ों को भी ट्राइकोडर्मा हार्जीएनम फॉर्मूलेशन 15 ग्राम प्रति लीटर पानी के घोल में 6 घंटे के लिए डुबोकर रखें।
कमाद — काले खटमल की रोकथाम के लिए 350 मि.ली. डर्सबान/लीथल/मासबान/गोल्डबान 20 ताकत को 400 लीटर पानी में मिलाकर एक एकड़ पर छिड़काव करें। छिड़काव का मुंह पत्तों की गोभ की तरफ रखें।
मक्की — मक्की के छेदक की रोकथाम के लिए 30 मि.ली. कोराजन 18.5 एस सी को 60 लीटर पानी में मिलाकर प्रति एकड़ के हिसाब से छिड़काव करें। इस सुंंडी की रोकथाम परजीवी कीड़े ट्राइकोगामा के द्वारा भी की जा सकती है।
दानों वाली फसल पर आर्मी वर्म का हमला दिखाई देने पर 0.4 मि.ली. कोराजन 18.5 एस सी क्लोरएंट्रानिलीप्रोल या 0.5 मि.ली. डैलीगेट 11.7 एस सी स्पाइनटटोरम या 0.4 ग्राममिज़ाइल 5 एस जी एमामैक्टिनबैंज़ोएट प्रति लीटर पानी के हिसाब से घोलकर छिड़काव करें। 20 दिनों तक की फसल के लिए 120 लीटर घोल प्रति एकड़ प्रयोग करें। छिड़काव करने के समय स्प्रे पंप की नोज़ल की दिशा मक्की की गोभी की तरफ होनी चाहिए। चारे वाली फसल पर कोराजन 18.5 एस सी को 0.4 मि.ली. प्रति लीटर पानी में घोलकर छिड़काव करें। छिड़काव के उपरांत चारे वाली फसल को 21 दिन तक प्रयोग ना करें।
सब्जियां — यह समय गोभी की अगेती किस्मों और बारिश के मौसम की फसलें जैसे कि भिंडी और कद्दू वर्गीय सब्जियों जैसे घीया कद्दू, घीयातोरी, करेला और टिंडे की बिजाई के लिए अनुकूल है।
भिंडी की फसल पर तेले की रोकथाम के लिए 15 दिन के अंतराल पर एक या दो बार 40 मि.ली. कोन्फीडोर 17.8 एस एल इमीडाक्लोप्रिड या 40 ग्राम एक्टारा डब्लयु जी थाइमैथोक्सम को 100—125 लीटर पानी में मिलाकर छिड़काव करें।
चल रहा मौसम मिर्च में फसलों और टहनियों के गलन रोग की वृद्धि और फैलाव के लिए बहुत अनुकूल है। इस रोग से बचाव के लिए 250 मि.ली. फोलीकर या 750 ग्राम इंडोफिल एम 45 जांब्लाईटॉक्स को 250 लीटर पानी में घोलकर प्रति एकड़ के हिसाब से 10 दिनों के अंतराल पर छिड़काव करने की सलाह दी जाती है।
बागबानी — बागों में और पौधों के आस पास खड़ा हुआ बारिश का अतिरिक्त पानी बाहर निकाल दें।
कीटनाशी, फंगसनाशी या लघु तत्वों का छिड़काव भी बारिश का अनुमान देखकर करें।
यह समय नए फलदार पौधे लगाने के लिए अनुकूल है। इस समय नींबू वर्गीय फल, आम, लीची, पपीता, अमरूद, चीकू आदि के फलदार पौधे लगाए जा सकते हैं।
बारिश ऋतु के अमरूदों को काने होने से बचाने के लिए पूरे बड़े पर सख्त हरे फलों को सफेट रंग के नॉन वूवन लिफाफों से ढका जा सकता है।