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द्वारा प्रकाशित किया गया था PAU, Ludhiana
पंजाब
2020-10-31 12:07:53

PAU की तरफ से गेहूं से संबंधित परामर्श

गुल्ली डंडा गेहूं की फसल का प्रमुख नदीन है, इसलिए गेहूं में गुल्ली डंडा के सुचारू रोकथाम के लिए विभिन्न उपायों का उपयोग करना जरूरी हो गया है। गुल्ली डंडे की सुचारु रोकथाम के लिए बिजाई के खेती के नए तरीके को अपनाएं और बिजाई के समय सही नदीन नाशकों को उपयोग करें। 

अक्टूबर महीने की बिजाई- गुल्ली डंडे का बीज 20 डिग्री सेल्सीयस से अधिक तापमान पर बहुत कम उगता है। गुल्ली डंडे की इस प्रकृति को इसको रोकने के उपयोग किया जा सकता है। अक्टूबर के अंत या नवंबर के शुरू में तापमान 20 डिग्री सेल्सीयस से ऊपर रहता है। इसके लिए इस समय बोई गई गेहूं की फसल गुल्ली डंडे के पहले लौ से बच जाती है, जिससे अधिक नुकसान होता है, उससे फिर बच जाती है। 

खेत सूखने के बाद बुवाई- गुल्ली डंडा के बीजों को अंकुरित होने के लिए अधिक नमी की जरूरत होती है और इसके बीज ज्यादातर मिट्टी की ऊपरी परत से उगते हैं। इसलिए, यदि बुवाई से पहले मिट्टी की ऊपरी परत सूख जाती है, तो गुल्ली डंडा के बीज अंकुरित हो जाते हैं। इन उगे हुए बीजों पर हल चलाने के बाद सुहागा मारकर नष्ट किया जा सकता है। उसके बाद, जब खेत की ऊपरी परत सूख जाती है और गुल्ली डंडा बहुत कम उगता है और फसल नदीन रहत रहती है।

बेड पर बिजाई- बेड पर बीजी गई गेहूं वाले खेत में पारंपरिक तरीकों से बीजी गई गेहूं की फसल से गुल्ली डंडा कम उगता है क्योंकि बेड की उपरली सतह सूख जाती है और गुल्ली डंडे को उगने से रोकती है। दूसरा, बेड के ऊपर बीजी गए गेहूं के खेत में बेड प्लांटर से खलियों में खुदाई करके भी गुल्ली डंडे की रोकथाम संभव है जो पारंपरिक तरीके से बीजी गई गेहूं में संभव नहीं है। तीसरा, बेड पर बीजी गई गेहूं में पानी की बचत होती है और झाड़ पारंपरिक तरीकों से बोई गई फसल से अधिक होती है।

बिना हल के हैपी सीडर से बिजाई- हैपी सीडर से बिना हल के धान के बचे हुए अवशेषों में बिजाई करने से गुल्ली डंडा और बाकी नदीन बहुत कम निकलते है क्योंकि खेत के ऊपर पड़ी हुई पराली की परत नदीन नाशक का काम करती है और नदिनों को यगणे नहीं देती।अगर बुबाई के समय गुल्ली डंडे के पौधें खेत में उग चुके है तो बिजाई से 2 दिन पहले ग्रेमोक्सोन 24 एसएल (पैराकुआट) 500 मिलीलीटर को 200 लीटर पानी में घोलकर प्रति एकड़ के हिसाब से छिड़काव कर दें। 

फसलों का आदान प्रदान- गुल्ली डंडे की अधिक समस्या वाले खेतों में नदिनों की समस्या को सुलझाने के लिए फसलें का आदान प्रदान करना बहुत ही अच्छा तरीका है। अगर संभव हो सके, गेहूं की जगह पर बरसीम, राई, आलू, सरसों, गोभी, सूरजमुखी, या गन्ने के साथ 12 साल आदान प्रदान करने से गुल्ली डंडे की समस्या अपने आप सुलझ जाती है। हमारे पूर्वज फसलों के आदान प्रदान से ही नदिनों, कीड़े-मकोड़े का हल कर लेते थे।