बागवानी- हर मौसम में हरे रहने वाले फलदार पौधें जैसे आम, नींबू जाति के पौधें (किन्नू, माल्टा, मीठा नींबू, बारामासी नींबू), लीची, अमरूद, लुकाठ, आंवला और पपीते के पौधें लगाने का बहुत अच्छा समय है। नए लगाए गए पौधे बहुत ही कोमल होते हैं, इस लिए उनको निगरानी में रखा जाना चाहिए। उनकी समय पर कांट-छांट, तने की सफेदी, पानी और अन्य पौधों की सुरक्षा की तरफ ध्यान दें। नींबू जाति के पौधों को फलों की केर से बचाने के लिए 5 ग्राम 2,4-डी (sodium salt horticulture grade) का छिड़काव मध्य सितंबर और नींबू जाति के पौधों में से सुरंगी कीड़े की रोकथाम के लिए 200 मिलीलीटर Crocodile 17.8 SL और सिटरस सिले की रोकथाम के लिए 160 ग्राम Actara 25 डब्ल्यू जी या 200 मिलीलीटर Crocodile 17.8 SL का 500 लीटर पानी में घोलकर समय पर छिड़काव करना चाहिए। टहनियों का सूखना और फल गलन की रोकथाम के लिए नींबू जाति के पौधों पर बोर्डो मिश्रण घोलकर 2:2:250 का छिड़काव करें। अंगूरों की टहनियों को सूखने की बीमारी की रोकथाम के लिए अंगूरों की बेल के ऊपर बोर्डो मिश्रण 2:2:250 का छिड़काव मध्य सिंतबर में करें और पीले धब्बों की रोकथाम के लिए दोबारा यह छिड़काव सितंबर के अंतिम में करें। बेरी और लाख के कीड़े की रोकथाम के लिए कीड़ा पीड़ित टहनियों को काट दें। बेर के पत्तों पर धब्बों की रोकथाम के लिए बोर्डो मिश्रण घोल को 2:2:250 या 0.3 प्रतिशत कॉपर ऑक्सीक्लोराइड का छिड़काव करें। लुकाठ के पूरे बड़े पेड़ को 50 किलो देसी रूड़ी, 2 किलो सिंगल सुपरफास्फेट और 1.5 किलो मयूरेट ऑफ पोटाष इस महीने में डालें। नाशपाती की पंजाब ब्यूटी के पूरे बड़े वृक्षों को 500 ग्राम यूरिया की बढ़ी किश्त इस महीने ही डालें। अमरूदों के पूरे बढ़े पौधों को 500 ग्राम यूरिया, 1250 ग्राम सिंगल सुपर फास्फेट और 750 ग्राम मयूरेट ऑफ पोटाष रसायनिक खादों की दूसरी किश्त के तौरपर डालें।