द्वारा प्रकाशित किया गया था गुरु अंगद देव वेटरनरी एंड एनिमल साइंसज यूनिवर्सिटी, लुधियाना
पंजाब
2022-07-12 14:14:26
Management of fish ponds in rainy season
बरसात के मौसम में मछली पालक को तालाब का विशेष ध्यान रखना चाहिए क्योंकि पानी की क्वालिटी में किनारे की मिट्टी भुरने के साथ आये बदलाव या बारिश के पानी का सही निकास न होने के कारण मछली को नुक्सान हो सकता है। यह विचार गुरु अंगद देव वेटरनरी एंड एनिमल साइंसज यूनिवर्सिटी, फिशरीज कॉलेज लुधियाना के डीन डॉ.मीरा डी आंसल जी ने बारिश के मौसम में मछलियों की देखभाल के बारे में बताया।
उन्होंने कहा कि तालाबों में पानी का स्तर 5 से 6 फीट होना चाहिए लेकिन तालाबों के किनारों की ऊंचाई ऐसी होनी चाहिए कि बारिश के पानी के मामले में वे 2 फीट तक पानी को संभाल सके। यदि मछली पालन निचले क्षेत्रों में किया जा रहा है, तो यह सुनिश्चित करने की आवश्यकता है कि अधिक पानी आने पर मछली किनारे से बाहर न निकले। यदि किनारे ऊंचे नहीं होंगे तो विभिन्न प्रकार के प्रदूषण या अन्य जीव तालाबों में प्रवेश कर सकते हैं। किनारे को भुरने से बचाने के लिए उन पर घास या पौधे लगाने बहुत ज़रूरी है, अधिक मिट्टी वाला पानी हो जाने की सूरत में ऑक्सीजन की मात्रा कम हो जाती है इस तरह के मौके पर पानी में एरिएटर चलाना बहुत ज़रूरी हो जाता है।
बारिश के बाद, पानी की तेज़ाबी और खारेपन की जाँच करनी चाहिए और इसका संतुलन बनाए रखना चाहिए। ऐसे समय में पानी की ऊपरी सतह में कई बदलाव होते हैं इसलिए पानी को चलते रहना चाहिए। ऐसे मोंटमैले पानी को खेतों में इस्तेमाल करना चाहिए और ताज़ा पानी तालाब में डालना चाहिए। अधिक बादल वाले मौसम के मामले में, फ़ीड की मात्रा कम या बंद करनी चाहिए और मौसम के फिर से खुलने पर ही फ़ीड डालनी चाहिए।
यदि पानी में कोई खरपतवार उग आए या उनका विकास हो जाए, तो मछली की खुराक रोक देनी चाहिए। यदि एक तालाब में अधिक मछलियाँ हैं, तो मछली को दूसरे तालाब में छोड़ देना चाहिए।