विशेषज्ञ सलाहकार विवरण

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द्वारा प्रकाशित किया गया था पंजाब एग्रीकल्चरल यूनिवर्सिटी, लुधियाना
पंजाब
2022-04-11 10:54:58

How to protect animal from Mastitis

पशुओं के शेड की साफ सफाई बहुत जरुरी है।

  • समय-समय पर सभी पशुओं के दूध की जांच करवाते रहें। दूध निकालने से पहले प्रत्येक थन के दूध की भी जाँच करें। खून और छिद्दी आने पर तुरंत उपचार शुरू करें।
  • जिन पशुओं में यह बीमारी आ चुकी हो, उनका दूध बाद में निकालें। (ताजे ब्याए पशु का दूध पहले निकालना चाहिए)
  • पशु का दूध लेने के बाद थन के छेद आधे घंटे तक खुले रहते हैं इसलिए दूध निकालने के बाद थनों को कीटनाशक घोल में डुबोएं, थनों के लिए फायदेमंद होता है। Povidine आयोडीन और ग्लिसरीन का घोल 3:1 के अनुपात में एक सस्ता और बढ़िया कीटाणुनाशक है जो पशु पालक घर तैयार कर सकते हैं।
  • ज़्यादा पशुओं को तंग जगह पर न रखें। इससे पशु पर दबाव बढ़ जाता है।
  • दूध वाले को दूध निकालने से पहले डेटॉल या साबुन से अपने हाथ धोने चाहिए।
  • पूरे हाथ से दूध निकालें।
  • पशु का दूध पूरा निकालना चाहिए, अधूरा न छोड़ें।
  • जब ब्याने से दो महीने पहले पशु से दूध लेना छोड़ दिया जाता है तो लेवटी के हर थन में दवा ज़रूर चढ़ाएं, इसके लिए डॉक्टर की सलाह लें।
  • सोजिश की पहचान तो आसानी से हो जाती है क्योंकि लेवटी में सोजिश होती है और हाथ लगाने पर गर्म होती है, लेकिन अंदरूनी सूजन की पहचान मुश्किल से होती है क्योंकि पशु का दूध धीरे-धीरे कम होता है और बाहर से देखने में लेवटी पर कोई प्रभाव नहीं पड़ता, इसकी सही पहचान सोडियम लॉरल सल्फेट के घोल से दूध की जाँच करके की जा सकती है, इसमें एक प्लास्टिक पैडल लिया जाता है जिसके 4 कप होते हैं। हर थन में से पैडल के हर कप में दूध लिया जाता है और सोडियम लॉरल सल्फेट के घोल से मिलाया जाता है। दूध का जमा हुआ निकलना अंदरूनी सोजिश के बारे में बताता है। लेबोरेटरी में दूध की जांच कीटाणु के लिए कल्चर करके भी किया जा सकता है।

स्रोत: खेती संदेश, पीएयू