
द्वारा प्रकाशित किया गया था ਪੰਜਾਬ ਐਗਰੀਕਲਚਰਲ ਯੂਨੀਵਰਸਿਟੀ, ਲੁਧਿਆਣਾ
पंजाब
2019-11-26 12:15:49
Expert's suggestions for wheat crop in December

पीएयू के माहिरों की तरफ से गेहूं के लिए बताये गए सुझाव इस तरह हैं:
- पिछेती बिजाई के लिए कम समय लेने वाली किस्में जैसे कि पी बी डब्ल्यू 658 और पी बी डब्ल्यू 590 की खेती करें। बिजाई के समय 45 किलो यूरिया और 155 किलो सिंगल सुपर फास्फेट या 55 किलो डीएपी प्रति एकड़ डालें। यदि 55 किलो डीएपी का प्रयोग ही किया है तो 20 किलो यूरिया प्रति एकड़ के हिसाब से कम कर दें। पिछेते बोये जाने वाले गेहूं में भी पीएयू-पत्ता रंग चार्ट के प्रयोग से खाद डाली जा सकती है।
- छींटे की कांगियारी और पत्तों की कांगियारी की रोकथाम के लिए बीज को रैक्सिल ई जी/ ऑरियस 6 एफ एस 13 मिलीलीटर या वीटावैक्स पावर 120 ग्राम या वीटावैक्स 80 ग्राम या टैबूसीड/सीडैक्स/एक्सज़ोल 40 ग्राम प्रति 40 किलो बीज के हिसाब से उपचार कर लें।
- बीज का उपचार बिजाई से एक महीने पहले ना करें, नहीं तो बीज के उगने की शक्ति पर बुरा असर पड़ता है। गेहूं की पीली कुंगी की पहली आमद देखने के लिए नींम पहाड़ी इलाकों का सर्वेक्षण करें। यदि पीली कुंगी गेहूं पर दिखाई देती है तो उसे 0.1 प्रतिशत टिल्ट या शाइन या बंपर या कम्पास या मार्कज़ोल के घोल से नष्ट कर दें।
- यदि फसल पर तने की गुलाबी सुंडी का हमला दिखाई देता है तो 800 मिलीलीटर एकालक्स 25 ई सी (क्विनल्फॉस) को 100 लीटर पानी में घोलकर प्रति एकड़ छिड़काव करें। यदि गेहूं में चौड़े पत्ते वाले नदीन हो तो 250 ग्राम प्रति एकड़ 2, 4 – डी का प्रयोग गेहूं की बिजाई से 35-45 दिनों में करें और पिछेती बिजाई वाली फसल पर 45 से 55 दिनों में करें। सख्त जान वाले नदीन जैसे जंगली पालक, मैना, मैनी, सेंजी, तकला आदि के लिए अलग्रिप/अलग्रिप राईल/मार्कग्रिप (मैटस्लफुरान 20 ताकत) 10 ग्राम/एकड़ 150 लीटर पानी के साथ 30-35 दिनों के बाद छिड़काव करें। जिन खेतों बटन बूटी की समस्या हो वहां ऐम/ अफिनटी (कारफ़ैंटाज़ोन)- ईथाइल 40 डी एफ) 20 ग्राम/एकड़ को 200 लीटर पानी के साथ 25-30 दिनों के बाद छिड़काव करें। जहाँ पर मकोह जंगली पालक, रारी, हिरनखुरी हो तो वहां लांफिडा 50 डी एफ 20 ग्राम प्रति एकड़ बिजाई से 25-30 लीटर पानी प्रयोग करके छिड़काव करें।
- गुल्ली डंडे और जंगली जई की रोकथाम के लिए आइसोप्रोट्यूरॉन नदीन नाशक का छिड़काव पहले पानी से 2-3 दिन पहले करें। भारी ज़मीनों के लिए आइसोप्रोट्यूरॉन 75 डब्ल्यू पी 500 ग्राम और और दरमियानी ज़मीनों के लिए आइसोप्रोट्यूरॉन 75 डब्ल्यू पी 400 ग्राम प्रति एकड़ प्रयोग करें। हल्की ज़मीनों के लिए इस नदीननाशक का प्रयोग 300 ग्राम प्रति एकड़ करें या सल्फॉसफ्यूरोन 13 ग्राम प्रति एकड़ का पहले पानी से 2-3 दिन पहले 150 लीटर पानी का प्रयोग करके छिड़काव करें।
- गुल्ली डंडे और चौड़े पत्ते वाले नदीनों की रोकथाम के लिए 160 ग्राम एटलांटिस 3.6 डब्ल्यू डी जी या 16 ग्राम टोटल/मार्कपावर 75 डब्ल्यू जी का प्रयोग 150 लीटर पानी के साथ 30-35 दिनों की फसल पर करें। गेहूं-धान के फसल चक्र में गुल्ली डंडे को मारने के लिए बिजाई के 2 दिनों के अंदर स्टोम्प/दोस्त/पैंडा/मार्कपैंडी/पैंडिन/बंकर/जाकीजामा 30 ई सी (मीज़ोसल्फ़्यूरोन+ आईओडोसल्फ़्यूरोन) 160 ग्राम या टोटल/मार्कपावर 75 डब्ल्यू जी (सल्फॉसफ्यूरोन + मैटसल्फ़्यूरोन) 16 ग्राम या अकोड प्लस (फोनोक्साप्रोप + मैट्रीबूजिन) 500 मिलीलीटर या 200 ग्राम शगुन 21-11 ग्राम प्रति एकड़ प्रयोग करें। छिड़काव 150 लीटर पानी के प्रयोग से 30-35 दिनों के बाद फ़्लैट फैन नोज़ल के साथ करें। गेहूं की पी बी डब्ल्यू 550 और उन्नत पी बी डब्ल्यू 550 किस्मों के ऊपर अकोड-प्लस/शगुन 21-11 का छिड़काव ना करें। हल्की ज़मीनों में शगुन का प्रयोग ना करें। जहाँ सलसल्फ़्यूरोन का प्रयोग किया हो वहां खरीफ समय चरी और मक्की की बिजाई ना करें।
- जंगली जई के उगने के बाद इसकी रोकथाम के लिए आइसोप्रोट्यूरॉन 75 घुलनशील 300 ग्राम प्रति एकड़ पहले पानी से 2-3 दिन पहले छिड़काव करें । ऊपर बताये गुल्ली डंडा मारने वाले नदीननाशक भी जंगली जई का खात्मा करते हैं।
- गेहूं को पहला पानी बिजाई के चार सप्ताह के बाद दें। हल्की ज़मीनों में यह पानी एक सप्ताह पहले देना चाहिए। गेहूं को पहले पानी के साथ 55 किलो यूरिया प्रति एकड़ डाल दें। हल्की और शोरे वाली ज़मीनों में पहले पानी के बाद जिंक की कमी आ सकती है। जिंक की कमी पौधे के ऊपर के हिस्से पर तीसरे या चौथे पत्ते पर आती है। यह पत्ते बीच में से पीले पड़ जाते हैं और बाद में सूखकर गिर जाते हैं। यदि ऐसी निशानी खेत में दिखाई देती हैं तो 25 किलो जिंक सल्फेट (21%) प्रति एकड़ को इतनी ही मात्रा में मिट्टी लेकर मिला लें और छींटा दें। हल्की ज़मीनों में धान के बाद बोये गए गेहूं के ऊपर मैगनीज़ की कमी आ सकती है। यदि पत्ते के बीच का हिस्सा पीला दिखाई देता है और पत्ते के ऊपर हल्के पीले से स्लेटी गुलाबी भूरे रंग के छोटे-छोटे धब्बे पड़ जाने के बाद में सलेटी गुलाभी धारियों में बदल जाते हैं तो यह मैगनीज़ की कमी की निशानियां होती हैं। ऐसा होने पर 0.5 प्रतिशत मैगनीज़ सल्फेट (1.0 किलो मैगनीज़ सल्फेट 100 लीटर पानी प्रति एकड़) के घोल का छिड़काव करें। जहाँ पिछले साल मैगनीज़ की कमी आई थी एक छिड़काव पहले से 2-4 दिन पहले और 2-3 छिड़काव पहले पानी के बाद सप्ताह-सप्ताह के अंतराल पर करें। रेतली ज़मीनों में गंधक की कमी के कारण ऊपर के नए पत्ते हल्के हरे और फिर पीले हो जाते हैं जबकि नीचे के पत्ते हरे ही रहते हैं। यदि ऐसी निशानियां दिखाई देती हैं तो एक क्विंटल जिप्सम प्रति एकड़ के हिसाब से छींटा दें और हल्का पानी दें। यदि गेहूं की बिजाई अभी करनी है तो 45 किलो यूरिया और 155 किलो सिंगल सुपर फास्फेट प्रति एकड़ बिजाई के समय डालें। यदि ज़मीन में पोटाश की कमी है तो 20 किलो म्यूरेट ऑफ़ पोटाश प्रति एकड़ डालें। यदि सिंगल सुपर फास्फेट नहीं मिलती तो 25 डीएपी खाद का प्रयोग करें और बिजाई के समय 25 किलो यूरिया ही डालें। नीम पहाड़ी इलाकों में पीली कुंगी का हमला हो सकता है। ऐसी स्तिथि में टिल्ट या फोलीकर या बैलेंटान (1 मिलीलीटर एक लीटर पानी) का छिड़काव करके इसके फैलाव की रोकथाम करें।
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