विशेषज्ञ सलाहकार विवरण

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द्वारा प्रकाशित किया गया था पंजाब एग्रीकल्चरल यूनिवर्सिटी, लुधियाना
पंजाब
2019-08-27 10:21:47

Experts' suggestions for Dairy and Poultry farming

माहिरों द्वारा दिए गए डेयरी और पोल्ट्री फार्मिंग के लिए सुझाव निम्नलिखत अनुसार हैं:

डेयरी फार्मिंग:

तंदरुस्त पशु ब्याने से 50-60 दिन बाद हीट में आता है। ऐसे पशुओं को हीट के लक्षणों के लिए ध्यान से देखें और क्रॉस करवाएं या AI का टीका लगाएं, ताकि दो ब्यांत के बीच वाला अंतराल कम किया जा सके। ब्याने के बाद पशुओं का वज़न कम हो जाता है, जिस वजह से वे हीट में देरी से आती है। इस लिए इनके लिए संतुलित खुराक व उचित देख-रेख होनी चाहिए। कटड़ों-बछड़ों के नीचे सूखा भूसा डालें और समय पर डीवॉर्मिंग कराएं और सींग दागें। चिचड़ से बचाव के लिए ऐसनटोल (एक ग्राम/लीटर पानी) या बुटोक्स 0.2% (2 मि.ली. प्रति लीटर पानी) या टोक्टिक (12.5%) 0.2% पशुओं पर और शेड में स्प्रे करें। 6 महीने से कम के बछड़ों के ऊपर स्प्रे न करें। स्प्रे करने से पहले कंपनी की तरफ से दी गयी हिदायतें ज़रूर पढ़ें और इनकी पालना करें। मक्खियों से बचाव के लिए शेड व आस पास सफाई रखें। सरा रोग में बचाव के लिए जल्द से जल्द डॉक्टर से संपर्क करें, क्योंकि यह बीमारी मक्खियों से फैलती है। तो मक्खियों से बचाव के लिए स्प्रे करें। पेट के कीड़ों से बचाने के लिए पशुओं को समय-समय पर कीट रहित करते रहना चाहिए। लेवटी की सूजन/मीठे रोग से बचाव के लिए थनों को 100 मि.ली. पोवीडीन + 20 मि.ली. ग्लिसरीन में डूबा देते रहना चाहिए।

मुर्गी पालन:

अंडों की पैदावार में रौशनी की महत्त्वपूर्ण भूमिका है। मुर्गियों को 14-16 घंटे (दिन की रौशनी के साथ) रौशनी देनी चाहिए और शुरू होने के बाद धीरे-धीरे बढ़ानी चाहिए। अंडे का छिलका पतला न हो, इसके लिए पत्थर की मात्रा बढ़ा देनी चाहिए। हफ्ते में 2-3 बार सूखा भूसा हिलाते रहें, ताकि यह सूखा रहे। मीट वाले चूज़े पालने के लिए यह बढ़िया मौसम है। किसी भरोसेमंद हैचरी से ही चूज़े बुक करवाएं। चूहों को शेड में आने से रोकने के लिए काम करें जिस से खुराक के नुकसान को रोका जा सके।