द्वारा प्रकाशित किया गया था पंजाब एग्रीकल्चरल यूनिवर्सिटी, लुधियाना
पंजाब
2019-09-12 11:30:03
Experts' suggestions for crops in the month of September
धान, मक्की, कपास और गन्ना फसलों के लिए माहिरों द्वारा दिए गए सुझाव निम्नलिखित अनुसार हैं:
- धान : धान और बासमती की फसलों से बढ़िया उपज लेने के लिए ज़रूरत के अनुसार ही पानी लगाएं और कटाई से 2 सप्ताह पहले पानी बंद कर दें। धान की फसल में नदीन और फालतू पौधे उखाड़ दें। पत्ता लपेट सुंडी की रोकथाम के लिए 20 मिलीलीटर फेम 480 एस सी या 170 ग्राम मॉरटर 75 ताकत या एक लीटर कोरोबान/डर्मट 20 ताकत को 100 लीटर पानी में घोलकर प्रति एकड़ के हिसाब से छिड़काव करें। सफेद पीठ वाले टिड्डे के कारण पौधे काफी मात्रा में सूख जाते हैं। इसकी रोकथाम के लिए 120 ग्राम चैस 50 डब्ल्यू जी या 40 मिलीलीटर कॉन्फीडोर/क्रोकोडाइल 17.8 ताकत या 800 मिलीलीटर एकालक्स/ क्विनगार्ड/क्विनलमॉस 25 ताकत को 100 लीटर पानी में घोलकर प्रति एकड़ के हिसाब से छिड़काव करें। धान की फसल में तना छेदक बढ़ रही फसल की गोभ अंदर से खाकर सूखा देते हैं और बालियां पड़ने के समय हमले वाले पौधों की दानों के बिना सफेद रंग की बालियां सीधी खड़ी दिखाई देती है। धान की फसल पर जब 5 प्रतिशत से ज़्यादा गोभ सूखी दिखाई दें तो 20 मिलीलीटर फेम 480 एस सी या 170 ग्राम मॉरटर 75 ताकत या एक लीटर कोरोबान/डरसबान/लीथल/क्लोरगोर्ड/डर्मट/क्लासिक 20 ई सी को 100 लीटर पानी में घोलकर प्रति एकड़ छिड़काव करें। बासमती फसल की जब गोभ 2 प्रतिशत सूखी दिखाई दे तो 20 मिलीलीटर फेम 480 एस सी या 170 मॉरटर 75 ताकत या 60 मिलीलीटर कोराजन की 20 एस सी या एक लीटर कोरोबान/लीथल/डर्मट/क्लासिक 20 ताकत को 100 लीटर पानी को प्रति एकड़ के हिसाब से छिड़काव करें। इन कीड़ों की रोकथाम के लिए 4 किलो फरटेरा 0.4 जी.आर. या 4 किलो डरसबान 10 जी या 6 किलो रीजेंट मॉरटैल/मिफप्रो जी/ महांवीर जी आर 0.3 जी या 10 किलो पदान/कारटॉप/सनवैक्स/कालडान/निदान/मिफटेप 4 जी या 4 किलो वाइब्रेंट 4 जी आर के हिसाब से प्रयोग करके भी की जा सकती है। डरसबान/रीजेंट/पदान/करीटाप/सनवैक्स/कालडान/वाइब्रेंट पत्ता लपेट सुंडी की भी रोकथाम करते हैं। तने के आस-पास पत्ते के झुलस रोग से बचाने के लिए मेड़ों और किनारों को घास से मुक्त रखें। बीमारी की निशानी दिखाई देने पर नैटिवो 75 डब्ल्यू जी 80 ग्राम या लस्चर 320 मिलीलीटर या 200 मिलीलीटर एमीस्टार टॉप/टिल्ट/बंपर/फोलीकर/मोनसरन या 200 ग्राम बाविस्टिन को 200 लीटर पानी में मिलाकर छिड़काव करें। यदि मौसम ज़्यादा नमी और बादलवाई वाला हो तो फसल को गोभ में आने के समय 500 ग्राम कोसाइड 46 डी एफ को 200 लीटर पानी में घोलकर प्रति एकड़ के हिसाब से छिड़काव करके झूठी कांगियारी से बचाएं।
- मक्की : मक्की की फसल को समय पर ठीक पानी देते रहें। खासतौर पर मक्की के पौधों बूर निकलता हो। इस समय पानी की कमी के कारण उपज कम हो जाएगी। भारी बारिश होने के बाद खेतों में से अधिक पानी को निकाल देना चाहिए ताकि फसल को टांडे गलने के रोग से बचाया जा सके। मक्की की फसल के तना छेदक की रोकथाम के लिए 30 मिलीलीटर कोराजन 18.5 एस सी को 60 लीटर पानी में घोलकर प्रति एकड़ के हिसाब से छिड़काव करने से की जा सकती है।
- कपास : फूल और टींडे पर आई कपास की फसल को पानी की कमी ना आने दें। नहीं तो फूल और टींडे झड़ जाएंगे और उपज कम हो जाएगी। टिंडों के जल्दी खिड़ने के लिए अंतिम पानी सितंबर के अंत में दें। यदि रस चूसने वाले कीड़ों का हमला आर्थिक नुकसान करने की सीमा तक पहुँचता दिखाई दे तो फसल पर जल्दी छिड़काव करें, सफेद मक्खी की रोकथाम के लिए 80 ग्राम उलाला 50 ताकत या 200 पोलो/करेज़ 50 डब्ल्यू पी या 500 मिलीलीटर लैनो 10 ई सी या 200 मिलीलीटर उबरेन 240 एस सी और हरे तेले की रोकथाम के लिए 80 ग्राम उलाला 50 ताकत या 200 ग्राम पोलो/करेज़ 50 डब्ल्यू पी या 500 मिलीलीटर लैनो 10 ई सी या 200 मिलीलीटर उबरेन 240 एस सी और हरे तेले की रोकथाम के लिए 60 ग्राम ओशीन 20 एस जी या 80 ग्राम उलाला 50 ताकत या 40 मिलीलीटर कॉन्फीडोर 200 एस एल/कोंफीडेंस 555/इमिडासिल 17.8 एस एल या 40 ग्राम एकटारा/दोतारा/थॉमसन 25 डब्ल्यू जी को 125-150 लीटर पानी में घोलकर हाथ से चलने वाले नैपसैक पंप से छिड़काव करें। टिंडे की बड़ी अमेरीकन सुंडियों की रोकथाम के लिए 2 लीटर क्लोरोपाइरीफॉस 20 ताकत या 60 मिलीलीटर ट्रेसर 48 ताकत या 200 मिलीलीटर अवांट 15 ताकत प्रति एकड़ के हिसाब से प्रयोग करें। यदि 24 घंटों में बारिश हो जाये तो छिड़काव दोबारा करें। मध्य सितंबर के बाद सिंथैटिक पैराथराइड ग्रुप के कीटनाशकों का प्रयोग करें। मिलीबग के हमले वाली कतारों/पौधों पर बप्रोफ़ैज़िन 25 ताकत 500 मिलीलीटर का अच्छी तरह छिड़काव करें। नरमे से अच्छी उपज लेने के लिए 2 प्रति पोटाशियम नाइट्रेट 13:0:45 (2 किलो पोटाशियम नाइट्रेट 100 लीटर पानी में प्रति एकड़) के चार छिड़काव फूल निकलने के समय सप्ताह के अंतराल पर करें।
- गन्ना : सितंबर के शुरू में गन्ने बांधने की क्रिया शुरू करें। बढ़िया उपज लेने के लिए समय पर पानी देते रहें।रतुआ रोग और उखेड़ा रोग से प्रभावित पौधे उखाड़कर नष्ट कर दें। यह काम सप्ताह के अंतराल पर करते रहें। इस महीने के दुसरे पखवाड़े सी.ओ.118, सी.ओ.जे 85, सी.ओ.जे 64 की बिजाई शुरू कर दें। बीज को सिफारिश के अनुसार उपचार करें। कतारों का फासला 90 सेंटीमीटर रखें। ज़्यादा मुनाफे के लिए मिक्स फसलें जैसे तोरिया, आलू, लहसुन आदि की बिजाई कर सकते हैं।
माहिर कमेटी
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