द्वारा प्रकाशित किया गया था पंजाब एग्रीकल्चरल यूनिवर्सिटी, लुधियाना
पंजाब
2020-02-27 11:20:28
Expert's suggestion for sugarcane crop
गन्ने की सिफारिश किस्में सी.ओ.पी.बी.92, सी.ओ.118, सी.ओ.जे. 85, सी.ओ.जे 64 (अगेती पकने वाली), सी.ओ.238, सी.ओ.पी.बी 91 और सी.ओ.जे 88 (दरमियानी पिछेती पकने वाली किस्में) और सी.ओ.पी.बी.94 की बिजाई इस महीने के अंत तक पूरी कर लीजिये। गन्ने की बिजाई के लिए जिस बीज का चयन किया है वह रत्ता रोग, सोकड़ा, कांगियारी, गन्ने के बौने का रोग, घास जैसी शाखाओं के रोग से रोग मुक्त होना चाहिए। गन्ने की फसल उगने के समय अगेते फुटाव के गड़ुयें से बचाने के लिए ख़ालियों में पड़ी पोरियों के ऊपर 10 किलो रीजेंट मरोटेल/रिप्पन 0.3 जी (फिप्रोनिल) मिट्टी में मिलाकर प्रति एकड़ के हिसाब से प्रयोग करें। कारमैक्स/क्लास (डाईफ्यूरोन) 800 ग्राम प्रति एकड़ के हिसाब से उगने से पहले प्रयोग करने से नदीनों की रोकथाम हो सकती है। गन्ने की बिजाई से 15 दिन पहले 8 टन रूडी या प्रेस मढ़ प्रति एकड़ खेत में अच्छी तरह मिला दें और नाइट्रोजन की मात्रा 60 किलो की जगह 40 किलो प्रति एकड़ डालें। लेकिन हल्की ज़मीनों में यदि सिफारिश उर्वरकों के साथ रूडी डाली हो तो गन्ने की 10% उपज अधिक ली जा सकती है। रेतली ज़मीनों में नाइट्रोजन खाद पहले पानी के बाद लगाएं।
गन्ने की बिजाई के बाद 65 किलो यूरिया प्रति एकड़ गन्ना जमने के बाद पहले पानी के साथ डालें। फास्फोरस की कमी वाली ज़मीनों में 75 किलो सुपर फास्फेट बिजाई के समय डालें। गन्ने की अच्छी उपज लेने के लिए अजोटोबैक्टर या कंसोर्शियम बायोफ़र्टिलाइज़र 4 किलो प्रति एकड़ के हिसाब से बिजाई के समय डालें। पतझड़ ऋतु के गन्ने को 65 किलो यूरिया मार्च के अंत में डालें। अधिक आमदन लेने के लिए गन्ने की 2 कतारों में एक कतार में सठी मूंगी या मांह/पुदीने की बिजाई की जा सकती है। यह गन्ने की फसल का नुकसान नहीं करेगी।