
Expert advice for wheat crop in January

नवंबर में बोई गई गेहूं को इस महीने दूसरा पानी दे दें और दिसंबर में बोई गई गेहूं को पहला पानी दें। पिछेती गेहूं को नाइट्रोजन की दूसरी खुराक पहले पानी के साथ दे दें। हल्की ज़मीनों में धान के बाद बोई गेहूं पर मेंगनीज की कमी आ सकती है। इसकी कमी के कारण पौधे के बीच के पत्ते पीले हो जाते हैं, जबकि नसें हरी रहती है और नसों में स्लेटी-गुलाबी रंग के धब्बे पड़ जाते हैं। यदि खेत में ऐसी निशानिया नज़र आये तो 0.5 प्रतिशत मेंगनीज सल्फेट के घोल कर छिड़काव करें। इसलिए 1 किलो मेंगनीज सल्फेट प्रति 200 लीटर पानी प्रति एकड़ का प्रयोग करें। हफ्ते-हफ्ते के अंतराल पर 3 छिड़काव करें। यदि मेंगनीज की कमी वाली ज़मीन में फसल में एक छिड़काव पहले पानी से पहले करें तो परिणाम बहुत बढ़िया आते हैं। रेतली ज़मीनों में बोई गई गेहूं में गंधक की कमी आ सकती है। इसकी कमी में नए पत्ते पीले पड़ जाते हैं जिनका ऊपरी भाग कुछ हद तक हरा रहता है। सर्दियों में अधिक बरसात के कारण यह कमी अधिक आती है। कमी आने पर 100 किलो जिप्सम प्रति एकड़ का छींटा दें । पिछेती की गई बिजाई में से गुल्ली डंडा और चौड़े पत्ते वाले नदीनों की रोकथाम के लिए आइसोप्रोट्यूरॉन नदीनाशक 75 घुलनशील 500 ग्राम प्रति एकड़ के हिसाब से 30 से 35 दिनों के बाद प्रयोग करें जब पहला पानी दिया हो और खेत में चल। गुल्ली डंडा और कुछ सख्त चौड़े पत्ते वाले नदीनों की रोकथाम के लिए 2,4 डी 250 ग्राम प्रति एकड़ को आइसोप्रोट्यूरॉन या क्लॉडिनाफाप ग्रुप की नदीनाशक दवाइयों के साथ मिलाकर प्रयोग करें। गुल्ली डंडा और जंगली जई की रोकथाम के लिए पहली सिंचाई के 2-4 दिन पहले आइसोप्रोट्यूरॉन नदीनाशक दवाई का प्रयोग करें। भारी ज़मीनों के लिए आइसोप्रोट्यूरॉन 75 घुलनशील 500 ग्राम, दरमियानी ज़मीनों के लिए 400 ग्राम और हल्की ज़मीनों के लिए 300 ग्राम प्रति एकड़ का प्रयोग करें। जोंधर की रोकथाम के लिए क्लॉडिनाफाप या फैनोक्साप्रोपीथाईल भी प्रयोग कर सकते हैं। जहां गुल्ली डंडा आइसोप्रोट्यूरॉन लगातार प्रयोग करने से खत्म न हो तो वहां टॉपिक पॉइंट मोहाल रक्षक प्लस/ जयविजय/ टोपल/ मार्कक्लॉडिना /कोलंबस 15 घुलनशील (क्लॉडिनाफाप) या एक्सियल 5 ताकत (पिनो कसाडिन) 400 ग्राम या पियोमा पावर 10 ताकत (फैनोक्साप्रोपीथाईल इथाइल) 400 मि.ली. या लीडर/ एस एफ 10, सफल 75 डबलयू जी/मार्कसल्फो(सल्फोसल्फुराण) 13 ग्राम या अकॉर्ड प्लस 500 मि.ली. या शगन 21-11 (मैट्रीबियोजन +क्लॉडिनाफाप) 200 ग्राम प्रति एकड़ के हिसाब से 30-35 दिनों में प्रयोग करें । मोहाल/रक्षक प्लस/ टॉपिक/पॉइंट, पियोमा पावर, लीडर/एस एफ 10, सफल, मार्कसल्फो प्रयोग करने के लिए 150 लीटर पानी प्रति एकड़ के हिसाब से प्रयोग करें और छिड़काव के लिए फ़्लैट जोन नोजल का प्रयोग करें।नदीनाशक एटलांटिस 36 ताकत 160 ग्राम या टोटल/मार्कपावर 75 डबलयू जी 16 ग्राम प्रति एकड़ प्रयोग करने से घास और चौड़े पत्ते वाले नदीनों की रोकथाम भी कर सकते हैं।चौड़े पत्ते वाले नदीनों की रोकथाम के लिए एम/अफिनटी 40 ताकत (कारफेंटराजोन इथाइल ) 20 ग्राम या लांफीडा 50 ताकत (मेटसल्फुराण+करफेंट्राजोल) 200 ग्राम 25-30 दिनों के बाद या 2,4-डी का प्रयोग 250 ग्राम प्रति एकड़ के हिसाब से 45-55 दिनों के बाद पिछेती बोई गेहूं पर प्रयोग करें या कण्डेयाली पालक और चौड़े पत्ते वाले नदीनों को रोकथाम के लिए एलग्रिप/एलग्रिप राईल 20 घुलनशील (मेटसल्फुराण) 10 ग्राम प्रति एकड़ बिजाई के 30-35 दिनों में छिड़काव करें । यदि गेहूं में सरसों की खालिया बनाई हों तो 2,4-डी या लीडर/ एस एफ 10 सफल/मार्कसल्फो,एटलांटिस,टोटल/मार्कपावर नदीनाशक का प्रयोग न करें।पर आइसोप्रोट्यूरॉन/टॉपिक/पॉइंट/मोहाल/ रक्षक/प्लस/जयविजय/ टोपल/ मार्कक्लॉडिना/कोलंबस, पियोमा पावर नदीनाशक का प्रयोग कार सकते हैं। एम/अफिनटी नदीनाशक 'बटन बूटी' को मारता है। अकॉर्ड प्लस और शगन 21-11 PB W 550 और उन्नत PBW 550 किस्म पर न छिड़के।समय समय पर खेतों का सर्वेक्षण (आमतौर पर पहाड़ी इलाके में) करते करें। यदि पीली कुंगी की निशानिया फसल पर नजर आए तो 200 ग्राम केवियट या 120 ग्राम नेटिवों या उपेरा या टिल्ट या शाइन या बम्पर या कम्पास या मरकजोल या स्टिल्ट का छिड़काव 200 मि.ली. 200 लीटर पानी प्रति एकड़ के हिसाब से करें।
माहिर कमेटी
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