द्वारा प्रकाशित किया गया था पंजाब एग्रीकल्चरल यूनिवर्सिटी, लुधियाना
पंजाब
2023-02-09 13:49:32
Causes, symptoms, and prevention of lameness disease in animals
पशुओं में लंगड़ापन एक बढ़ती हुई समस्या है क्योंकि यह डेयरी पशुओं के स्वास्थ्य और उत्पादकता को अधिक प्रभावित करती है। डेयरी उद्योग में थनैला रोग और बांझपन के बाद यह तीसरी सबसे ज़्यादा प्रचलित बीमारी है। प्रबंधन में बदलाव, उत्पादन में वृद्धि और जैनेटिक विकारों के कारण पिछले 20 वर्षों में लंगड़ापन की घटनाओं में धीरे-धीरे वृद्धि हुई है।
कारण:
पशुओं को ज़रूरत से ज़्यादा दाना देना।
पशुओं को कच्चे फर्श से ज़्यादा पके फर्श पर रखना।
डेयरी फार्म पर ज़्यादा गीलापन होना।
पशु खुराक में धातुओं की कमी होना।
लक्षण:
पशु के खुरों में बहुत ज़्यादा दर्द होना।
पशु की चाल का खराब होना।
पशु के खुरों पर ज़ख्म होना।
उपाय और रोकथाम:
डेयरी पशुओं के खुरों के ज़ख्मों का समय पर उपाय करवाएं।
पशुओं को रोज़ाना संतुलित खुराक दें।
डेयरी पशुओं को हरा चारा डालें।
पशुओं को रोज़ाना 50 ग्राम धातुओं का चूरा दें।
प्रत्येक 6 महीने के बाद डेयरी पशुओं के खुर ज़रूर बनवाये।
खुरों को फारमालिन के 4% घोल की स्प्रे करें।
पशुओं की खुराक में बायोटिन और ज़िंक सल्फेट का प्रयोग करें।
खुरों के जख्मों पर लाल दवाई (potassium permanganate) के साथ अच्छी तरह साफ़ करके जख्मों पर कॉपर सल्फेट और ज़िंक सल्फेट के पाउडर को मिलाकर (1:1) 5 दिन तक लगाएं।