Advisory related to Pulses, Sugarcane and Green Fodder crops
दालें- चने और मसूर में नदीनों की रोकथाम के लिए गुड़ाई करें। समय पर बिजाई की गई चने की फसल को मध्य दिसंबर के आस पास पानी दें, जबकि मसूर को बिजाई के 1 महीने बाद पानी दें।
कमाद- फसल को कोहरा से बचाने के लिए मध्य दिसंबर तक पानी दें। अगेती किस्मों को पीड़न और कटाई (मिल में भेजने के लिए ) शुरू कर दें। कटाई खत्म होते ही खेत से अपशिष्ट पदार्थों को करके जला दें, और खेत को पानी दें, जड़ को गन्ने के अपशिष्ट पदार्थ के साथ ढकें।
हरे चारे- हरे चारे की कमी को पूरा करने के लिए इस महीने अगेती बिजाई की गई जई को काट लें। यदि खेत में (ਬੂਈਂ (ਪੋਆ ਘਾਹ) घास बहुत हो तो जई की दो कटाई न लें, हरे चारे की कमी के समय हरा चारा प्राप्त करने के लिए लहसुन की कटाई ली जा सकती है। धान वाले फसली चक्र में रेतली जमीनों में बोई बरसीम की फसल पर मैंगनीज़ की कमी आ सकती है। इसकी कमी के कारण बीच वाले तने के पत्तों के ऊपर भूरे गुलाबी रंग के धब्बे हो जाते हैं, जो बाद में सूख कर झड़ जाते हैं और पत्ते में छेद हो जाता है कमी ठीक करने के लिए 0.5% मैंगनीज सल्फेट (1 किलो मैंगनीज सल्फेट 200 लीटर प्रति एकड़) का छिड़काव फसल की कटाई के बाद दो हफ्ते के नए फुटाव पर करें और हफ्ते - हफ्ते बाद 2-3 छिड़काव करें। यदि बरसीम में तना गलने के रोग हो तो फसल की कटाई के बाद खेत को धूप लगने दें।