द्वारा प्रकाशित किया गया था GKMS,BIHAR AGRICULTURAL UNIVERSITY
पंजाब
2020-09-28 12:39:13
Advisory from IMD Bihar
सितंबर में बुबाई जाने वाली फूलगोभी की किस्में जैसे पूसा संकर 2, काशी, पटना मेन, पूसा सिंथेटिक 1, पूसा सुव्रा, पूसा स्नोबॉल 1, पूसा स्नोबॉल 2, पूसा स्नोबॉल 16, पूसा स्नोबॉल के-1 आदि, 500 से 700 ग्राम प्रति हेक्टेयर की दर से बीज बुबाई करें। सितंबर में बुबाई की जाने वाली पत्तागोभी की किस्में जैसे प्राइड ऑफ इंडिया, गोल्डन एकर, पूसा मुक्ता, अर्ली ड्रम हेड आदि, 500 से 700 ग्राम प्रति हेक्टेयर की दर से बीज बुबाई करें।
रबी फसलों के लिए खेत तैयार करना शुरू करें। किसानों को अलप अवधि की तोरिया, शुरूआती आलू और सब्ज़ियों ली बुबाई करने का सुझाव दिया जाता है।
चावल- धान उत्पादकों को सुझाव दिया जाता है कि धान की फसल में 20 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर की दर से नाईट्रोजन की अंतिम खुराक छिड़काव करें। धान की फसल में जिंक की कमी देखी जाती जाती है तो खैरा रोग के नियंत्रण के लिए जिंक सल्फेट @ 25 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर की दर से छिड़काव करें। किसानों को अपने खेतों की नियंत रूप से निगरानी करने की सलाह दी जाती है, यदि धान के खेत में लीफ फोल्डर या स्टेम बोरर देखा जाता है तो प्रभावी नियंत्रण के लिए आकाश के स्पष्ट होने पर कार्टैप हाइड्रोक्लोराइड 4 प्रतिशत दानों @ 25 किलोग्राम हेक्टेयर का छिड़काव करें।
मक्का- यदि बारिश के मौसम में मक्का के खेत में पौधों को काटने का कीट का हमला होता है तो कीटनाशक क्लोरपाइरीफोस @ 2 मिलीलीटर प्रति लीटर पानी या फराडान के 4 से 5 दाने मक्का के पौधें में छिड़काव करने की सलाह दी जाती है।
गाय- पशुओं को प्रति दिन 50 से 60 ग्राम खनिज मिश्रण कृमि की दवा प्रदान करें और उन्हें छाया में रखें और फर्श ठीक से सूखा और साफ़ होना चाहिए।