द्वारा प्रकाशित किया गया था CSK Himachal Pradesh Agricultural University, Palampur
पंजाब
2021-04-13 14:16:23
टमाटर, फूलगोभी, मटर और आलू की खेती करने वाले किसानों के लिए सुझाव
सब्जियों में पंक्तियों के बीच खाली जगह पर घास फूस आदि का मलच या विछोना बनाकर डालने से पैदावार में बड़ोतरी होती है।
टमाटर- सब्जियों (टमाटर, मिर्च, बैंगन) में फल छेदक, शीर्ष छेदक की निगरानी हेतु फिरोमोन प्रपंच 3 से 4 प्रति एकड़ लगाएं तथा प्रकोप अधिक दिखाई दे तो स्पिनोसेड दवाई 1.0 मिलीलीटर प्रति 4 लीटर पानी में मिलाकर छिड़काव आसमान साफ होने पर करें। मिर्च के खेत में माईट कीट की निरंतर निगरानी करते रहें। मिर्च के खेत में विषाणु रोग से ग्रसित पौधों को उखाड़कर ज़मीन में गाड़ दें। उसके उपरांत अनुमोदित दवाई का इमिडाक्लोप्रिड 0.3 मिलीलीटर प्रति लीटर की दर से छिड़काव करें।
फूलगोभी- फूलगोभी व जड़दार सब्जियों जैसे मूली, शलगम, पालक के खेतों को खरपतवार रहित रखें।ब्रोकली, पिछेती फूलगोभी, बंदगोभी तथा टमाटर में निराई-गुड़ाई करें। फूलगोभी व पत्तगोभी में डायमंड बेक मोथ की निगरानी हेतु फिरोमोन प्रपंच 3 से 4 प्रति एकड़ लगाएं तथा प्रकोप अधिक दिखाई दे तो स्पिनोसेड दवाई 1.0 मिलीलीटर प्रति 4 लीटर पानी में मिलाकर छिड़काव आसमान साफ होने पर करें। गोभीवर्गीय सब्जियों में पत्ती खाने वाले कीटों के लिए स्पिनोसेड दवा 1 मिलीलीटर प्रति 3 लीटर पानी में मिलाकर छिड़काव आसमान साफ़ होने पर करें।
मटर- मटर में फल छेदक की निगरानी हेतु फिरोमोन प्रपंच 3 से 4 प्रति एकड़ खेतों में लगाएं, मटर की फसल पर यूरिया या पोटाशियम सल्फेट 2 प्रतिशत के घोल का छिड़काव करें, जिससे मटर की फलियों की संख्या में बढ़ोतरी होती है साथ ही फसल का पाले से भी बचाव होता है।प्रदेश के निचले क्षेत्रों में जड़दार सब्जियों जैसे मूली, शलगम, गाजर, पालक की सुधरी प्रजातियां की बिजाई करें। जड़दार सब्जियों जैसे मूली, शलगम, गाजर, पालक की सुधरी प्रजातियां की निराई-गुड़ाई करें और खरपतवार रहत रखें।
आलू- आलू में झुलसा रोग आने की संभावना दिखाई देने पर कार्बेंडाज़िम 1.0 ग्राम प्रति लीटर पानी या डाइथेन एम 45 2.0 ग्राम प्रति लीटर पानी की दर से चिपकने वाले पदार्थ के साथ मिलाकर छिड़काव इस तरह से करे कि पौधा पूरा भीग जाए। आलू की फसल में वर्षा के बाद उर्वरक की मात्रा डालें, निराई-गुड़ाई करें तथा खरपतवार निकाल दें।