विशेषज्ञ सलाहकार विवरण

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द्वारा प्रकाशित किया गया था पंजाब एग्रीकल्चरल यूनिवर्सिटी, लुधियाना
पंजाब
2023-03-06 10:39:49

बकरी पालन के काम छोटे पैमाने पर खेती आधारित व्यवसाय के रूप में उभर कर सामने आ रहा है और बहुत से किसान इस लाभकारी व्यवसाय की तरफ अपना रुझाव भी दिखा रहें हैं। बकरी पालन व्यवसाय को सफल बनाने के लिए स्वास्थ्य संभाल संबंधी कुछ महत्वपूर्ण नुस्खों का ध्यान रखना ज़रूरी होता है।

  • शैड में जानवरों के झुंड से बचे।
  • बीमार जानवरों को सेहतमंद जानवरों से अलग रखें।
  • लेवटी की अच्छी तरह सफाई के बाद ही बच्चों को दूध पीने दिया जाए।
  • मेमनों की आयु के हिसाब से 0-1 महीने, 1-2 महीने के अलग-अलग ग्रुपों में रखें और बड़े हो रहे जानवरों को बकरियों से अलग रखना चाहिए।
  • नए खरीदे गए पशुओं को 30 दिनों के लिए अलग रखकर पालन करें ताकि बाहर से आने वाली बीमारी का इलाज हो सके।
  • बकरियों को सुबह जल्दी और रात के समय देरी से चराने से परहेज किया जाना चाहिए।
  • ब्रीडिंग सीज़न से पहले जो जानवरों को ब्याने में दिक्क्त आती है, उसे झुंड से बाहर निकाल देना चाहिए।
  • नवयात बच्चों में मौत दर कम करने के लिए गाभिन पशुओं में अंतिम 6 सप्ताह में ज़रूरत मुताबिक ज़्यादा राशन, कीटनाशकों के प्रयोग से शैडों की साफ़-सफाई, ज़मीन पर बढ़िया सूखे का प्रबंध और सही समय बाउली पिलाना बहुत ज़रूरी है।
  • छोटी आयु से ही बकरियों में कोकसीडीया, बाहरी और अंदरूनी कीड़ों से बचाव के लिए मल्प रहित करना, मुँह-खुर, गलघोटू, जांघ की सूजन, पी पी आर, गोट पॉक्स आदि जैसी बिमारियों के लिए टीकाकरण (वैक्सीनेशन) करवाना ज़रूरी है ताकि बिमारियों को फैलने से रोका जा सके। टीकाकरण सेहतमंद जानवर का ही करवाना चाहिए और 2 टीकों में 15-21 दिनों का अंतर होना चाहिए।
  • फार्म पर आवाजाई को नियंत्रण करने के लिए फार्म पर आने वाले लोगों के रिकॉर्ड रजिस्टर पर नोट करें।
  • फार्म में दाखिल होने से पहले फुटबाथ में पोटाशियम परमेगनेट और चूने के घोल रखा जाये ताकि बाहर से बीमारी को अंदर जाने से रोका जा सके।
  • फीड खिलाने और सफाई करने वाले उपकरण अलग होने चाहिए और समय-समय पर इसकी सफाई की तरफ ध्यान देना ज़रूरी होता है।