द्वारा प्रकाशित किया गया था ਪਲਾਂਟ ਬਰੀਡਿੰਗ ਵਿਭਾਗ, ਪੀ ਏ ਯੂ
पंजाब
2019-11-20 11:16:05
बिजाई के समय किया उपचार फसल की उपज बढ़ाने और फसल को कीड़ों और बिमारियों से बचाव करती है। दीमक और बीज से लगने वाली बीमारियां की रोकथाम केवल बीज उपचार से की जा सकती है।
दीमक की रोकथाम के लिए 40 ग्राम क्रूज़र 70 डब्ल्यू एस (थायामिथाकस्म), डरसबान/रूबान/डर्मिट 20 ई सी (क्लोरोपाइरीफॉस) 160 मिलीलीटर या 80 मिलीलीटर न्यूनिक्स (इमिडाक्लॉपरिड+हेक्साकोनाज़ोल) प्रति एकड़ 40 किलो बीज के लिए प्रयोग किया जाता है।
न्यूनिक्स से कांगियारी रोग की भी रोकथाम हो जाती है।
गेहूं में कांगियारी की रोकथाम के लिए प्रति 40 किलो बीज को ओरिआस 6 एस एफ को 400 मिलीलीटर पानी में घोलकर लगाएं या 120 ग्राम वीटावैक्स पावर या सीडेक्स 2 डी एस या एक्स्ज़ोल 2 डी एस को 40 किलो बीज के लिए प्रयोग करें।
छींटों की कांगियारी की रोकथाम 13 ग्राम रैक्सिल ईज़ी के साथ भी की जा सकती है।
बीज उपचार हमेशा पहले बीज ड्रम के साथ करनी चाहिए। गेहूं के बीज की हमेशा पहले कीड़ेमार, फिर उल्लीनाशक दवाई और अंत में जीवाणु खाद के साथ उपचार करना चाहिए। प्रति एकड़ बीज के लिए एक किलो कनसोर्शियम या 250 ग्राम अज़टोबैक्टर+स्ट्रेप्टोमाईसीज़ जीवाणु खाद (अज़ो-एस) को 1 लीटर पानी में घोलकर बीज को अच्छी तरह करने से बेज के अंकुरण पर प्रभाव पड़ता है।
जीवाणु खाद से उपचार बिजाई से आधे घंटे पहले करें और बीज को सुखाने के लिए पके फर्श पर छांव में बिखेर लें।