द्वारा प्रकाशित किया गया था ਪੰਜਾਬ ਐਗਰੀਕਲਚਰਲ ਯੂਨੀਵਰਸਿਟੀ, ਲੁਧਿਆਣਾ
पंजाब
2022-04-01 12:53:42
पशु शेड प्रबंधन- पशुओं के लिए शेड की लंबाई उत्तर-दक्षण दिशा में होनी चाहिए। शेड के पास छाया वाले वृक्ष लगाने चाहिए जिससे धुप और लू से पशुओं को बचाया जा सके। पशु शेड में आने वाली गर्म हवा को रोकने के लिए बोरी या पलड़ों का प्रयोग करें और खिड़कियों पर पलड़ों को गीले करके लटका दें ताकि शेड में ठंडक बनी रहें। पशु घरों की क्षमता के मुताबिक ही पशुओं को रखना चाहिए। यदि पशु घर की छत कंक्रीट या एस्बेटस की बनी हो तो उसके ऊपर 4 से 6 इंच तक घास की परत बिछायें। गर्मी से बचाव के लिए पंखे, कूलर, फॉगर आदि का भी प्रयोग किया जा सकता है।
खुराक प्रबंधन- गर्मी के मौसम में दूध उत्पादन और पशुओं की शारीरिक क्षमता बनाई रखने के लिए पशु खुराक का महत्वपूर्ण योगदान है। पशु खुराक में गर्म मौसम में हरे चारे का प्रयोग करना चाहिए। इसमें 70 से 90 प्रतिशत पानी की मात्रा होती है, जिससे पशुओं के पानी की ज़रूरत पूरी होती है। गर्म मौसम मेंपूरा साल हरे चारे की उपलब्धता के लिए चारे की संभाल करनी चाहिए। इसके लिए हेए और साइलेज तैयार किया जा सकता है। संतुलित खुराक का प्रयोग करें ताकि किसे भी खुराकी तत्व की कमी के कारण पशु की सेहत या उत्पादन पर कोई बुरा असर न हो।
जल प्रबंधन- गर्मी के मौसम में पशुओं को साफ़ पानी ज़रूरत के अनुसार समय-समय पर देते रहें ताकि पशु के शरीर के तापमान को ठीक रखा जा सके। इसके अलावा पानी में एलेक्ट्रल पाउडर 50 से 60 ग्राम का प्रयोग करना चाहिए। पशु को दिन में 2 से 3 बार ज़रूर नहलाएं। दोगले पशुओं की उत्पादन क्षमता बनाई रखने के लिए गर्मियों में उनके लिए बढ़िया प्रबंध आवश्यक है।
विटामिन और खनिज पदार्थों का प्रयोग- गर्मी के मौसम में पशुओं को तनाव से बचाने के लिए विटामिन-खनिज मिश्रण का प्रयोग बड़े पशुओं में 30 से 50 ग्राम और छोटे पशुओं में 15 से 25 ग्राम तक करें।
सेहत प्रबंधन- गर्मी के मौसम में पशुओं के बीमार होने की दर बढ़ जाती है। जिसमें बदहज़मी होना, लू लगना, थनैला, बाहरी परजीवियों का हमला, प्रोटोजोअल बीमारी, जीवाणु और विषाणु से होने वाले रोग भी बढ़ जाते हैं। इसके लिए समय- समय पर टीकाकरण करें, मल्प की दवा देते रहें और चिचड़ों से बचाव के लिए अमितराज, मैलाथियान आदि दवा का प्रयोग डॉक्टर की सलाह से करें।