द्वारा प्रकाशित किया गया था Gramin Krishi Mausam Sewa,BIHAR AGRICULTURAL UNIVERSITY
पंजाब
2020-12-08 12:27:06
गन्ना- गन्ना की रोपाई के लिए स्वस्थ बीज का चयन करें। इसके लिए COP-9301, COP-2061, COP-112, BO-91, BO- 153 एवं BO-154 किस्में इस क्षेत्र के लिए अनुषंसित हैं। कार्वेन्डाजिम दवा के 1 ग्राम प्रति लीटर पानी की दर से घोल बनाकर गन्ना के गेड़ियों को 10-15 मिनट तक उपचारित कर रोपाई करें। दीमक, कल्ला एवं जड़ छिद्रक कीट से बचाव हेतु बीज को क्लोरपाईरिफाँस 20 EC का 5 लीटर प्रति हेक्टेयर रोपनी के समय पोरियों पर सिराउर में छिड़काव करें।
चना- चना की बुआई अतिशीघ्र संपन्न करने का प्रयास करें। चना के लिए उन्नत किस्म पूसा-256, KPG-59(उदय), KWR 108, पंत जी 186 एवं पूसा 372 अनुषंसित हैं। बीज को बेबीस्टीन 2.5 ग्राम प्रति किलोग्राम बीज की दर से उपचारित करें। 24 घंटा बाद उपचारित बीज को कजरा पिल्लू से बचाव हेतु क्लोरपाईरीफाॅस 8 मिलीलीटर प्रति किलोग्राम की दर से मिला लें। पुनः 4 से 5 घंटे छाया में रखने के बाद राईजोबीयम कल्चर (पाॅंच पैकेट प्रति हेक्टेयर) से उपचारित कर बुआई करें।
गेहूँ- 10 दिसंबर के बाद गेहूँ की पिछात किस्मों की बुआई की सलाह दी जाती है। इसके लिए अभी से ही प्रमाणित स्त्रोत से बीज का प्रबंध कर लें। उत्तर बिहार के लिए गेहूँ की पिछात किस्में जैसे PBW 373, HD 2285, HD 2643, HUW 234, WR 544, DBW 14, NW 2036, HD 2967 तथा HW 2045 अनुशंषित है।
चारा- चारा के लिए जई तथा बरसीम की बुआई करें। जई के लिए 80 किलोग्राम बीज तथा बरसीम के लिए 20 किलोग्राम बीज प्रति हेक्टेयर का व्यवहार करें।
मक्का- रबी मक्का की बुआई सम्पन्न कर लें। अगेती बोई गयी मक्का की फसल में निकौनी एवं आवष्यकतानुसार सिंचाई करें।
राई- राई की पिछेती किस्में राजेन्द्र अनुकूल, राजेन्द्र सुफलाम एवं राजेन्द्र राई पिछेती की बुआई सम्पन्न करने का प्रयास करें। राई की फसल जो 20 से 25 दिनों की हो गयी है उसमें निकौनी तथा बछनी कर पौध से पौधे की दुरी 12-15 सेंटीमीटर रखें।
पशुपालन- दूधारु पशुओं के रख-रखाव एवं खान पान पर विषेष घ्यान दें। खाने में प्रोटीन की मात्रा बढ़ा दें। दुधारु पशुओं के दुध में निम्न तापमान के कारण आयी कमी को दूर करने के लिए नियमित रुप से दाने के साथ कैल्शियम भी खिलायें। पशुओं को रात में खुले स्थान पर नहीं रखें।