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2019-03-26 14:32:00

रिलायंस फाउण्डेशन की किसानों को सलाह

फसलों की कटाई के बाद नरवाई, यानी फसल के ठूंठ या अवशेष खेत में न जलायें बल्कि खेत में जीवांश बढ़ायेें। फसल अवशेषों में आग लगाने से भूमि में जीवांश की कमी होती है। साथ ही खेत में उपलब्ध लाभदायक सूक्ष्मजीवाणु एवं मित्रकीट नष्ट होते हैं, जिससे खेत की उपजाऊ शक्ति में कमी आती है, और प्रकृति तथा पर्यावरण में प्रदूषण भी बढ़ता है।

  • अप्रैल माह में खाली खेत की ग्रीष्मकालीन गहरी जुताई तीन साल में एक बार जरूर करें। गहरी जुताई करने से मृदा में हवा का आवागमन तथा मिट्टी में जलधारण क्षमता बढ़ती है एवं हानिकारक कीट, फफूंद एवं खरपतवार नष्ट होते है।
  • खेत का पानी खेत में व गांव का पानी गांव में के तहत खेत की मेड़बंदी करें एवं गांव के आसपास के नालों में जगह-जगह बोरी बंधान कर जल संरक्षण का कार्य करें।
  • भंडारण से पहले बीज में मिले हुये डंठल, मिट्टी, पत्तियां तथा खरपतवार के बीजों को भली-भांति साफ  कर लें, एवं तेज धूप में 2-3 दिन तक सुखाकर 8 से 10 प्रतिशत नमी होने पर भंडारण करें।

उद्यानिकी

भिंडी में रसचूसक सफेद मक्खी, जेसिड आदि के नियंत्रण के लिए डायमेथोएट 30 ईसी की 1 से 1.5 मिली मात्र प्रति लीटर पानी में घोलकर छिड़काव करें।

पशुपालन

पशुओं को तेज धूप से बचायेें एवं इस समय पशुओं को हवादार स्थान पर बांधें व दिन में तीन बार पानी पिलायें। दुग्ध उत्पादन बढ़ाने हेतु साफ दाना व हरे, शुष्क चारे के मिश्रण के साथ खिलायें।

स्रोत: Krishak Jagat