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द्वारा प्रकाशित किया गया था Apnikheti
2018-11-22 10:58:13

दिसंबर महीने में पशुओं की देख रेख

• पशुओं को तापमान में अचानक आने वाले बदलाव से बचाने के लिए इन्हें रात के समय ढके हुए शैड/इलाके में रखना चाहिए।

• यदि पशुओं को एफ.एम.डी., गलघोटू रोग, लंगड़ा बुखार, आंतों के रोग के लिए यदि टीकाकरण नहीं करवाया है तो इस महीने तुरंत करवाना चाहिए।

• सही मात्रा में लवण/खनिज मिश्रण फीड के साथ मिलाकर पशुओं को देना चाहिए।

• दूध वाले पशुओं को मैसटाइटिस से बचाने के लिए दूध निकालने के बाद उनके थनों को एक कीटाणुनाशक से साफ करना चाहिए।

• हरे चारे की मात्रा पशुओं की फीड में सीमित मात्रा में होनी चाहिए, क्यों​कि यह पशुओं में दस्त और एसीडोसिस जैसी बीमारी पैदा होने की संभावना को बढ़ाता है।

• यदि पशुओं को खाना खिलाने के बाद हरा चारा बच जाता है, तो इसे धूप में सुखाएं और कमी के लिए स्टोर करें।

• बरसीम की बिजाई के 50—55 दिनों के बाद और जई के 55—60 दिनों के बाद, इनकी कटाई की जा सकती हैर, इसके बाद बरसीम की कटाई हर 25—30 दिनों के बाद की जा सकती है।

• इस महीने के दौरान चारे वाले वृक्षों के पत्ते इक्ट्ठे करने चाहिए। इन पत्तों को शैड में सुखाना चाहिए और चारे की कमी के समय के दौरान पशुओं को खाने के लिए देना चाहिए।