*【टिड्डी के नियत्रण हेतु पूर्व में ही तैयारी के उपाय एवं बचाव के तरीके】* :-
सभी सम्मानित किसान भाइयों को सूचित किया जाता है, कि टिड्डी दल के अटैक की आशंका ने कृषि वैज्ञानिकों सहित किसानों को चिंता में डाल दिया है। किसान भाइयों आस-पास के जनपदों सहित अपने जनपद में भी टिड्डी दल के आक्रमण का खतरा मंडरा रहा है। टिड्डी दल में करोड़ों की संख्या में लगभग दो ढाई इंच लंबे कीट होते हैं। जो फसलों को कुछ ही घंटों में चट कर जाते हैं। यह सभी प्रकार के हरे पत्तों पर आक्रमण करते हैं। ये टिड्डी दल किसी क्षेत्र में शाम 6 से 8 बजे के आसपास पहुँचकर जमीन पर बैठ जाते हैं। वहीं पर रात भर फसलों को नुकसान पहुँचाते हैं और फिर सुबह 7 से 8 बजे के करीब उड़ान भरते हैं।
*कृषि वैज्ञानिकों के सुझाव*:-
टिड्डी दल रात के समय केवल फसलों पर बैठते हैं। इन पर उसी वक्त हमला करने की जरूरत होती है।
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टिड्डी दल जिस जगह पहुंचेगा, वहां मादा जमीन में अंडे छोड़ देती है और वे फिर दोबारा लौटते हैं।
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जब तक टिड्डी लौटते हैं, तब तक दूसरे जो अंडे के रूप में होते हैं, वे बड़े हो चुके होते हैं।
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टिड्डी पर निगरानी रखने के लिए किसान शाम को फसलों पर जरूर नजर रखें यदि प्रकोप हो तो तुरंत कृषि विज्ञान केंद्र, कृषि विभाग या जिला प्रशासन को तुरंत सूचित करने का कष्ट करें।
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इनसे छुटकारा पाने के लिए रात के समय कीटनाशक का प्रयोग किया जाना चाहिए।
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जिस और हवा होती है उसी और भर देते हैं उड़ान। एक उड़ान में लगभग 100 से 150 किलोमीटर तक का सफर तय कर सकते हैं।
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संयुक्त राष्ट्र के खाद्य और कृषि संगठन के मुताबिक एक औसत टिड्डी दल 2500 लोगों का पेट भरने लायक अनाज चट कर सकते हैं।
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*यदि अटैक हो तो कैसे भगाएं*:-
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यह जानना जरूरी है कि अटैक करने वाला टिड्डी दल पीले रंग का होता है।
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टिड्डी दल को भगाने के लिए ढोल, नगाड़ों, टीन के डिब्बे, पटाखे, थालियां, लाउडस्पीकर से आवाजें बजाएं।
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किसान टोलियां बनाकर इस समस्या से निपट सकते हैं। फायर बिग्रेड की भी मदद ले सकते हैं।
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टिड्डी दल फसलों एवं समस्त वनस्पति को खा कर चट कर देता है। इनको उस क्षेत्र से हटाने या भगाने के लिए ध्वनि विस्तारक यंत्रों के माध्यम से भी भगाया जा सकता है ।
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किसानों भाइयों को सलाह है कि ध्वनि विस्तारक यंत्रों के माध्यम से आवाज कर उनकों अपने खेत पर बैठने न दें । अपने खेतों में आग जलाकर, पटाखे फोड़ कर, थाली बजाकर, ढोल नगाड़े बजाकर आवाज करें, ट्रेक्टर के साइलेसंर को निकाल कर भी तेज ध्वनि कर सकते हैं। इसके अलावा खेतों में कल्टीवेटर या रोटावेटर चलाकर के टिड्डी को तथा उनके अंडों को नष्ट किया जा सकता है। प्रकाश प्रपंच लगाकर के एकत्रित करें।
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यह टिड्डी दल शाम को 6 से 8 बजे के आसपास जमीन पर बैठ जाता है और फिर सुबह 7 से 8 बजे के करीब उड़ान भरता है। अतः इसी अवधि में इनके ऊपर कीटनाशक दवाइयों का छिड़काव करके इनको मारा जा सकता है। टिड्डी की नियंत्रण हेतु
क्लोरपाइरीफास 20 % ईसी की 1200 मिलीलीटर
या
क्लोरपाइरीफास 50 % ईसी की 1000 मिलीलीटर
या
डेल्टामेथरिन 2.8 % ईसी की 450 मिलीलीटर
या
डेल्टामेथरिन 1.25 % ULV की 200 मिलीलीटर
या
लैम्ब्डा-साईहेलोथ्रिन 5 % ईसी 400 मिलीलीटर
या
फिप्रोनिल 5 % एस. सी. की 2500 मिलीलीटर
या
मेलाथियान 50 % ई. सी. की 1850 मिलीलीटर
या
Bendiocarb 80 % डब्ल्यू.पी. की 125 ग्राम
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इनमें से किसी एक कीटनाशक को 500 से 600 लीटर पानी में घोल बनाकर प्रति हेक्टेयर की दर से छिड़काव करें।
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या मेलाथियान 5% डीपी की 25 किलो मात्रा प्रति हेक्टेयर की दर से सुबह के समय भुरकाव करें।
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यदि आपके क्षेत्र में टिड्डी दल दिखाई देता है तो उपरोक्त उपाय को अपनाते हुए तत्काल जिला प्रशासन, कृषि विभाग के अधिकारियों या विज्ञान केंद्र के वैज्ञानिकों से संपर्क करें।
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*विशेष जानकारी प्रसाशनिक विभाग द्वारा*