1.धान-गेहूँ फसल चक्र में गेहूँ की कटाई एवं अन्य रबी फसलो की कटाई के बाद हरी खाद हेतु म ुख्यतः ढैंचा व सनई की बुवाई 15 मई तक करें।
2.लोबिया व फ्रासबीन मे जड़ एवं तना गलन रोग की रोकथाम हेत ु कार्बन्डाजिम 500 ग्राम/है0 की दर से प्रयोग करे।
3.गेहूँ एवं दलहनी फसलों की कटाई एवं मड़ाई का कार्य करें।
4.अगर गहेूँ की कटाई के बाद विलम्ब से गन्ना की बुवाई करनी हो तो इसे अप्रैल माह में पूरा कर लें। बुवाई हेतु गन्ना के 1/3 से 1/2 ऊपरी हिस्सों को बीज में प्रयोग करें। बीजोपचार से पूर्व बीज को 24 घंटे पानी मंे भिगोंए। इससे जमाव में आशातील बढ ़ोŸारी होती है। बीज शोधन होतु 1 ग्राम कार्बेडाजिम 50 प्रतिशत को एक लीटर पानी की दर से घोल बनाए।
5.विलम्ब से बुवाई में को एस 88230, को एस 95255, को एस 95222, को एस97264, को पंत 84212 आदि प्रजातियों का चुनाव करें। संतुलित उर्वरक 100-120ः60ः40 एन0पी0के0/है0 का प्रयोग करें। बुवाई के समय 60 कि0ग्रा0 छ, 60 कि0ग्रा0 च्2व्5 व 40 कि0ग्रा0 ज्ञ2व् प्रति है0 का उपयोग करें।
6.देर से बोई गई गेहूॅं की फसल मे पत्ती झुलसा रोग एवं पीली गेरुई रोग के नियंत्रण हेतु प्रोपीकोनाजोज 500 मिली/है0 की दर से छिड़काव करे।
7.दलहनी फसलों जैसे मटर, मसूर तथा चना की कटाई फसल पकने के तुरंत बाद सुबह के समय करें अन्यथा दाने झड़ने से नुकसान होता है। भण्डारण से पूर्व दानों को अच्छी तरह से सुखा लं।े
8.विलम्ब से बोई गेहूँ या जौ की फसल अभी हरी हाे तो शाम के समय हल्की सिंचाई करें। इसके गेहूँ के दाने सुडोल होंगे। तेज हवा चल रही हो तो सि ंचाई न करें।
9.अप्रैल माह में पशुओं ह ेतु हरे चारे की कमी के समाधान हेतु इस समय बहु कटाई वाली ज्वार, लोबिया, मक्का, बाजरा आदि फसलों को चारे हेतु बुवाई करें। भरपूर उत्पादन हेतु ज्वार की बुवाई अप्रैल के दूसरे सप्ताह तथा बाजरा एवं लोबिया की बुवाई अप्रैल के अंत तक अवश्य पूरा कर लं।े
10.गेहूँ एवं जौ की बालियों का रंग सुनहरा हो जाए तथा बालियों के दाने कड़े हो जाए तब फसल की कटाई करें। कटाई के उपरांत फसल को 3-4 दिनों तक धूप में सुखाकर थ्रैसर से मढ़ाई करें।
11.गेहूँ की कटाई अगर कम्बाइन द्वारा की जानी हो तो दानों में नमी 20 प्रतिशत से अधिक न हो। अधिक नमी होने पर दाने बालियों में फसे रह जाते हैं।
12.अप्रैल में मेंथा की खेती रोपाई विधि से करें इसके लिए मेंथा की 40-45 दिन की पौध की रोपाई 40 से0मी0 की दूरी पर बने लाईनों में 15-20 से0मी0 की दूरी पर करें।