मिर्च व टमाटर की फसल मे विषाणु जनित रोगो के नियत्रंण करें
नैनीताल, उत्तराखंड
1.मिर्च व टमाटर की फसल मे विषाणु जनित रोगो के नियत्रंण हेतु संक्रमित पौधो को निकालकर नष्ट कर दंे।
2.टमाटर व मिर्च की फसल मे सिकुड़े हुए चित्तकबरे पत्ते दिखाई देने पर ग्रसित पौधो को निकालकर नष्ट करे। तथा रस चसू ने वाले कीड़ो के नियत्रंण हेतु सर्वागीं कीटनाशी का छिड़काव करें। पछेती झुलसा रोग के प्रकोप से बचाव हेतु मैनकोजेब 2.5 ग्रा0/ली0 या काॅपर आॅक्सीक्लोराइड 3.0 ग्रा0 प्रति ली0 पानी की दर से घोल बनाकर छिडकाव करे।
3.फ्रासबीन में तनो पर सफेद रूई जैसी बढ़वार दिखाई देने पर ग्रसित हिस्से/पौधो को निकालकर नष्ट कर दें तथा कार्बडाजिन 1 ग्रा0 प्रति ली0 पानी की दर से घोल बनाकर छिड़काव करें।
4.प्याज और लहसुन की पत्तियाॅ उपर से पीली पड़ने पर प्रोपीकोनाजोल या टेबूकोनाजोल का 1 मिली0 प्रति ली0 पानी की दर से घोल बनाकर छिड़काव करे।
5.मध्यम एवं निचले पर्वतीय क्षेत्रों में आड़ू के पर्णकुंचन रोग की रोक-थाम के लिए कीटनाशक रसायनों का द्वितीय छिड़कारें।
6.नर्सरी मंे ग्राफ्टिंग किये गये पौधों में मूल वृंत से निकलने वाली शाखाओं को तोड़कर अलग करें।
7.फल अच्छादन होने के उपरान्त मैंगो हौपर के प्रकोप होने की स्थिति में इमिडाक्लोरपिड का 3 मि0ली0 /10लीटर के हिसाब से आम में छिड़काव करें।
8.आड़ू, प्लम, खुमानी आदि गुठलीदार फलों में फल अच्छादन हो गया है तो पेड़ों को ओलो से बचाने के लिए जहाँ तक संभव हो ओला अवरोधी जालियों का प्रयोग करें।
9.ऊँचे पर्वतीय क्षेत्रों में एप्पल स्कैब रोग के नियंत्रण के लिए आवश्यक छिड़काव करें।
10.असिंचित अवस्था में नत्रजन की आधी मात्रा का थालों में प्रयोग कर नमी संक्षरण हेतु पलवार का प्रयोग करें।