नैनीताल, उत्तराखंड
1.ऊॅचाई वाले पर्वतीय क्षेत्रो में जहाॅ गोबर और अन्य उर्वरक पहले डाल दिये गये थे, नत्रजन की शेष आधी मात्रा का प्रयोग करे।
2.बगीचो में मधुमक्खियो से भरे बक्सों का प्रबन्ध लगभग 2-3 बक्से/एकड़ के हिसाब से करे।
3.कीड़ो एवं रोगों के निराकरण हेतु बगीचो मे फूल आत े समय नियंत्रक दवाईयों का प्रयोग कतई न करें। इससे मधुमक्खियों के मरने का डर रहता है।
4.घाटी क्षेत्रों में टमाटर, शिमलामिर्च तथा बैंगन की तैयार पौध का रोपण 60 से 60 से0मी0 दरूी पर इस माह के द्वितीय पखवाड़े में करें।
5.मटर में पौधों की सूखने एवं निचली पत्तियां पीले पड़ने की अवस्था में कार्बन्डाजिम 1.0 ग्राम प्रति लीटर पानी की दर से घोल बनाकर जड़ों की सिंचाई करें ।
6.प्याज और लहसुन की पत्तियाॅ उपर से पीली पड़ने पर प्रोपीकोनाजोल या टेबूकोनाजोल का 1 मिली0 प्रति ली0 पानी की दर से घोल बनाकर छिड़काव करे।
7.टमाटर मं पीलापन लिए हुए भूरे धब्बेे दिखाई देने पर मैन्कोजेब 2.5 से 3.0 ग्राम प्रति लीटर की दर से घोल बनाकर छिड़काव करें।
8.गोभीवर्गीय सब्जियो में पत्तीधब्बा रोग के नियत्रण्ंा हेतु मैन्कोजेब का 2.5 ग्रा0 प्रति ली0 पानी की दर से घोल बनाकर छिड़काव करे।
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